आम चुनाव से पहले किसानों को लुभाने के लिए इन 3 विकल्पों पर विचार कर रही सरकार

नई दिल्ली 
तीन राज्यों में चुनावी हार के बाद मोदी सरकार किसानों को लुभाने के उपायों पर विचार कर रही है। इसके तहत मोदी सरकार अन्नदाता को राहत देने के तीन विकल्पों पर राय ले रही है। सरकार के तीन करीबी सूत्रों ने बताया कि जमीन का मालिकाना हक रखने वाले किसानों को सीधे पेमेंट, सरकारी कीमत से कम दाम में फसल बेचने वाले किसानों को क्षतिपूर्ति राशि और लोन माफी योजना पर विचार चल रहा है। असल में मोदी सरकार इन विकल्पों पर काम करके देश के 26.3 करोड़ किसानों और उनके परिवारों का समर्थन हासिल करना चाहती है। 2014 में किसानों का भी मोदी सरकार को व्यापक समर्थन मिला था। 2019 के आम चुनाव मई महीने में हो सकते हैं। सरकार उन रास्तों की तलाश में जुटी है, जिनके जरिए किसानों तक राशि पहुंचाई जा सके ताकि वे आम चुनाव से पहले लाभ हासिल कर सकें। 

टैक्स कलेक्शन में कमी के चलते राजकोषीय घाटा बढ़ने की स्थिति में यदि सरकार ऐसा करती है तो बजट पर इससे बड़ा दबाव होगा। पिछले आम चुनावों में किसानों का बड़ा समर्थन हासिल करने वाली मोदी सरकार के खिलाफ इस वर्ग में गुस्सा देखा जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि सरकार ने फसलों की कीमतों को मार्केट पर छोड़ दिया और अपना दखल कम कर दिया है। इसके अलावा बीते दो सालों में अच्छी पैदावार होने और एक्सपोर्ट के अनुमान से कम रहने के चलते किसानों को फसल की कीमत कम मिल सकी है, जबकि लागत में तेजी से इजाफा हुआ है। नाम उजागर न करने की शर्त पर दो सूत्रों ने बताया कि सरकार जमीन पर मालिकाना हक रखने वाले किसानों को सीधे 1,700 से 2,000 रुपये प्रति एकड़ मासिक तक अदा करने के विकल्प पर विचार कर रही है। वित्त मंत्रालय का अनुमान है कि अगले बुवाई के सीजन से पहले किसानों को यह राहत देने पर सरकार पर 10 खरब रुपये का बोझ पड़ सकता है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार उन किसानों को क्षतिपूर्ति राशि देने पर विचार कर रही है, जिन्हें कम दाम में अपनी फसल बाजार में बेचनी पड़ी है। यह विकल्प सरकार को कम खर्चीला लग रहा है। इसके तहत सरकार को 500 अरब रुपये ही खर्च करने होंगे। 

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