NPA के लिए बैंकों के 6,000 से अधिक अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया: जेटली

नई दिल्ली 
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि लोन देने में चूक करने के लिए सरकारी बैंकों के 6,000 से अधिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। जेटली ने लिखित जवाब में कहा कि दोषी अधिकारियों को दंडित किया गया है, जिनमें बर्खास्तगी, कंपल्सरी रिटायरमेंट और डिमोशन जैसे कदम शामिल हैं। जेटली ने कहा, 'राष्ट्रीयकृत बैंकों से मिली जानकारी के मुताबिक, वित्त वर्ष 2017-18 में 6,049 अधिकारियों को लोन देने में चूक करने का कसूरवार ठहराया गया, जिसके चलते एनपीए हुआ।' मंत्री ने कहा, 'दोषी अधिकारियों के खिलाफ छोटे/बड़े जुर्माने लगाए गए हैं और एनपीए की राशि के आधार पर तमाम मामलों में सीबीआई और पुलिस में शिकायत दर्ज कराए गए हैं।' उल्लेखनीय है कि पीएनबी और केनरा बैंक सहित 19 राष्ट्रीयकृत बैंकों को चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 21,388 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान हुआ है। जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में कुल नुकसान महज 6,861 करोड़ रुपये था। इस बीच, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि सरकारी बैंकों के 25 करोड़ रुपये से अधिक बकाया वाले किसी भी लोन अकाउंट को जून 2014 के बाद से एवरग्रीन घोषित नहीं किया गया है। 

राज्यसभा में एक अन्य लिखित जवाब में शुक्ला ने कहा कि बैड लोन की पहचान में पारदर्शिता बरतने के कारण सभी वाणिज्यिक बैंकों का एनपीए साल 2016 के मार्च अंत में 5.66 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर साल 2018 के मार्च अंत में 9.62 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। उसके बाद रकम घटकर 9.43 लाख करोड़ हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 60,713 करोड़ रुपये की रेकॉर्ड रिकवरी की है। यह आंकड़ा पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में दोगुना है। 

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