आम्रपाली के निदेशकों ने महंगी कारों, जूलरी और शेयर बाजार में उड़ाए मकान खरीदारों के पैसे

 
नई दिल्ली 

रियल्टी कंपनी आम्रपाली ग्रुप में मकान बुक कराने वाले लोगों ने आशियाने का सपना पूरा करने के लिए खून-पसीने की कमाई को कंपनी को सौंपी थी, लेकिन समूह के अधिकारियों ने इन पैसों को अपनी सुख-सुविधाओं में उड़ा दिए। मामले की जांच कर रहे फरेंसिक ऑडिटरों ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को बताया कि निवेशकों के पैसों से कंपनी के सीएमडी अनिल शर्मा और अन्य निदेशकों ने न सिर्फ महंगी-महंगी गाड़ियां, जूलरी और मकान खरीदे, बल्कि उन्हें म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार में निवेश भी किया। ऑडिटर पवन के. अग्रवाल तथा रवि भाटिया ने 46 रजिस्टर्ड कंपनियों, ग्रुप से जुड़ी मुखौटा कंपनियों और निदेशकों के अकाउंट की छानबीन के बाद अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी है। 

अवैध रूप से ली प्रफेशनल फीस 
फरेंसिक ऑडिटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के दौरान सीएमडी अनिल शर्मा और निदेशक शिव प्रिया के खाते में 12 करोड़ रुपये नकद ट्रांसफर किए गए थे, जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं है। 2,500 पन्नों की अपनी भारी-भरकम रिपोर्ट में ऑडिटरों ने कहा कि इन पैसों का इस्तेमाल निदेशक और उनके परिवार के सदस्यों ने किया। उन्होंने कहा कि शर्मा तथा चार अन्य निदेशकों को प्रफेशनल फीस के रूप में अवैध रूप से 67 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिसके वे हकदार नहीं थे। यह भुगतान उन्हें तब किया गया, जब वे कंपनी के वेतनभोगी थे, जिसका अर्थ है कि वे इस तरह की फीस (प्रफेशनल फीस) लेने के हकदार नहीं थे। 

सेवाओं के कोई सबूत नहीं 
रिपोर्ट के मुताबिक, 'कोई व्यक्ति किसी कंपनी में या तो पूर्णकालिक कर्मचारी के रूप में काम कर सकता है या कंपनी को प्रफेशल सेवाएं दे सकता है। लेकिन कोई व्यक्ति कंपनी में सैलरी इनकम और प्रफेशनल इनकम दोनों का लाभ नहीं ले सकता है। निदेशकों ने आम्रपाली समूह से भारी-भरकम प्रफेशनल फीस ली, जिसके लिए उन्होंने न तो कोई समझौता किया था और न ही उनके द्वारा दी गई सेवाओं के किसी तरह के सबूत हैं।' 

सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि इन पैसों का भुगतान तब किया गया, जब इन अधिकारियों को व्यक्तिगत खर्च के लिए पैसों की जरूरत पड़ी। रिपोर्ट के मुताबिक, 'प्रफेशनल फीस का भुगतान तब किया गया, जब निदेशकों को व्यक्तिगत निवेश/बेटी की शादी/और कोई अन्य व्यक्तिगत खर्च के लिए पैसों की जरूरत पड़ी।' 

बेटी की शादी में निवेशकों के 1.38 करोड़ उड़ाए 
पैसों के भुगतान का निदेशकों के काम से कोई लेना-देना नहीं था। रिपोर्ट के मुताबिक, 'प्रफेशनल फीस का मूल उद्देश्य हाउजिंग लोन, कार खरीदने, जूलरी खरीदने सहित कई अन्य व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करना था। इन उद्देश्यों के लिए निदेशकों ने मकान खरीदारों से मिले पैसों को अपने व्यक्तिगत खातों में डायवर्ट किए। प्रफेशल फीस भी निदेशकों द्वारा मनमाने तरीके से ली गई और इसका कोई वैध आधार नहीं था। ऑडिटरों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि साल 2008 से लेकर 2016 के बीच कंपनी से सैलरी के रूप में शर्मा को 52 करोड़ रुपये और शिवप्रिया को 35.91 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। शर्मा ने कंपनी के 1.38 करोड़ रुपये अपनी बेटी की शादी में खर्च कर दिए।' 

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