आमतौर पर इन 6 कारणों से होता है लंग कैंसर

आमतौर पर इन 6 कारणों से होता है लंग कैंसरकैंसर कई तरह का होता है और हर तरह का कैंसर कुछ खास स्थितियों के कारण पनपता है। लंग कैंसर यानी फेफड़ों में होनेवाले कैंसर के साथ भी यही बात फिट बैठती है। आइए यहां जानते हैं कि वे कौन-सी सामान्य वजहें हैं, जिनके चलते लोगों में लंग कैंसर का भयानक रोग हो जाता है…
सबसे पहला कारण धुएं के छल्ले

-पूरी दुनिया में लंग कैंसर का मुख्य कारण सिगरेट पीना है। अगर सिर्फ और सिर्फ अमेरिका जैसे विकसित देश की बात करें तो वहां भी हर साल लंग कैंसर के 80 से 90 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो जाती है। इनमें अधिकांश वो पेशंट ही शामिल होते हैं, जो स्मोकिंग की लत के चलते लंग कैंसर का शिकार हुए।

-स्मोकिंग के चलते जो लोग लंग कैंसर का शिकार होते हैं, इस बीमारी से उनके मरने की संभावना 15 से 30 प्रतिशत अधिक होती है, उन लोगों की तुलना में जिनमें किसी अन्य कारण से लंग कैंसर हुआ हो। सिगरेट पीने वाले लोग भी अलग-अलग कैटिगरी के होते हैं। कुछ चेन स्मोकर्स होते हैं और कुछ लोग दिन में एक से दो बार सिगरेट पीते हैं।

-इस स्थिति में लंग कैंसर की गंभीरता भी इस बात पर निर्भर करती है कि पेशंट किस कैटिगरी का स्मोकर रहा है। साथ ही कैंसर का पता लगने के बाद जो लोग स्मोकिंग पूरी तरह छोड़ देते हैं, उनमें रिकवरी की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि नॉन स्मोकर्स की तुलना में जान का खतरा इन लोगों को अभी भी अधिक बना रहता है।

सेकंडहैंड स्मोकिंग

-दूसरे लोगों द्वारा की जा रही स्मोकिंग का असर भी हमारी सेहत पर पड़ता है। क्योंकि इस दौरान जब हम उनके पास खड़े होकर सांस ले रहे होते हैं तो यह धुआं हमारे शरीर में भी प्रवेश कर रहा होता है। इस तरह ना चाहते हुए हम भी स्मोकिंग कर रहे होते हैं। इस तरह की स्मोकिंग को पैसिव स्मोकिंग या सेकंडहैंड स्मोकिंग कहते हैं।

-एक अनुमान के मुताबिक, लगभग हर चौथा इंसान सेकंडहैंड स्मोकिंग कर रहा होता है। दुख की बात यह है कि इनमें बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं, जिनके शरीर पर इस तरह की स्मोकिंग का और भी बुरा असर पड़ता है।

रेडॉन गैस का उत्सर्जन

-रेडॉन एक प्राकृतिक गैस होती है, जो रॉक्स और डर्ट के कारण उत्पन्न होती है। इस गैस के साथ दिक्कत यह है कि पहाड़ियों और धूल के कारण बनने वाली इस गैस की कोई स्मेल या टेस्ट नहीं होता। साथ ही इसे देखा भी नहीं जा सकता!

– इस वजह से पहाड़ी और पठारी एरिया में रहनेवाले लोगों के घरों में आमतौर पर इस तरह की गैस भरी होती है, जो फेफड़ों में कैंसर की वजह बन जाती है।

कुछ अन्य कारण

-जो लोग सिलिका, डीजल, आर्सेनिक या दूसरी कैमिकल इंडस्ट्रीज में काम करते हैं, उनमें लंग कैंसर होने की संभावना कहीं अधिक बढ़ जाती है। यहां तक कि इन इंडस्ट्रीज में काम करनेवाले लोगों में लंग कैंसर का रिस्क स्मोकिंग करनेवाले लोगों से भी कहीं अधिक होता है।

व्यक्तिगत कारण

-लंग कैंसर के कुछ व्यक्तिगत कारण भी होते हैं। इनमें फैमिली हिस्ट्री भी शामिल होती है। साथ ही अगर कोई व्यक्ति स्मोकिंग करता है और उसका लंग कैंसर गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है तो इस बात की पूरी संभावना होती है कि उसके फेफड़ों में एक और कैंसर विकसित हो जाए।

-अगर परिवार में माता-पिता या भाई-बहन में से किसी को लंग कैंसर होता है तो उसमें भी इस कैंसर के पनपने की संभावना कहीं अधिक होती है। ऐसा रेडॉन गैस के कारण भी हो सकता है। क्योंकि जब पूरा परिवार एक ही छत के नीचे रहते हैं और किसी एक के शरीर पर घर के वातावरण का नकारात्मक असर पड़ रहा होता है तो पूरी संभावना होती है कि परिवार के अन्य सदस्यों में भी देर-सबेर इस तरह के लक्षण उभकर सामने आ सकते हैं।

रेडिएशन और खान-पान भी हैं कारण

-कैंसर के वे मरीज जो रेडिएशन थेरपी करा रहे होते हैं, उनमें भी लंग कैंसर के विकसित होने का खतरा कहीं अधिक होता है। क्योंकि रेडिएशन के चलते भी लंग्स में कैंसर सेल्स पनप सकती हैं।

खान-पान और कैंसर – जिन लोगों के पीने के पानी में आर्सेनिक आ रहा होता है, उनमें लंग कैंसर बढ़ने की संभावना होती है। ऐसा आमतौर पर तब अधिक देखने को मिलता था, जब लोग अपने प्राइवेट कुओं से पीने का पानी भरा करते थे।

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