आदिवासी समाज ने अपनी संस्कृति से जंगल को जीवंत रखा है- स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. चौधरी

भोपाल
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर जिला मुख्यालय रायसेन स्थित कृषि उपज मण्डी परिसर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। मंत्री डॉ. चौधरी ने आदिवासी समाज के सभी लोगों को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएँ दीं। डॉ. चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री  कमल नाथ ने विश्व आदिवासी दिवस पर पूरे प्रदेश में अवकाश घोषित किया है। आज सभी जिला मुख्यालयों पर पूरे हर्षोल्लास के साथ विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है।

मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि आदिवासी समाज की सोच, व्यवहार एवं उनकी सामाजिक परम्परा सीधे तौर से प्रकृति से जुड़ी हुई है। आदिवासी समाज की पुरातन काल से ही जल, जंगल और जमीन बचाने की परम्परा रही है। आदिवासी समाज ने अपनी परम्परा और संस्कृति के द्वारा जंगल को जीवंत रखा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार आदिवासियों के कल्याण और विकास के लिए कृत-संकल्पित है। मुख्यमंत्री  कमल नाथ ने आदिवासी समाज के हित में अनेक निर्णय लिए हैं तथा उनके लिए विभिन्न योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लोगों को भी स्वयं आगे आकर शासकीय योजनाओं का लाभ लेना चाहिए।  मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि सरकार ने आदिवासियों द्वारा लिया गया साहूकारी ऋण माफ करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही आदिवासियों द्वारा साहूकारों के पास गिरवी रखे गये जेवर और जमीन आदि भी उन्हें वापस दिलवाया जाएगा। डॉ. चौधरी ने कहा कि आदिवासी परिवार में बच्चे के जन्म पर 50 किलो तथा किसी सदस्य की मृत्यु होने पर 100 किलो अनाज दिया जाएगा। साथ ही गाँव में सामूहिक भोज की व्यवस्था के लिए बर्तन भी उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश शासन के जनजातीय कार्य विभाग का नाम परिवर्तित कर आदिवासी विकास विभाग किया जाएगा।

मंत्री डॉ चौधरी ने कहा कि मुझे स्कूल शिक्षा का दायित्व मिला है जिसका मैं पूर्ण जवाबदेही निर्वहन करूंगा। डॉ. चौधरी ने कहा कि शिक्षा विभाग ने लगभग दो लाख 37 हजार शिक्षकों का संविलियन करने के पश्चात् उन्हें सभी शासकीय सुविधाएँ उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आयेगा। छात्रावासों में रहने वाले बच्चों को बेहतर से बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार काम कर रही है। मंत्री डॉ. चौधरी ने आदिवासी समुदाय के लोगों से अपने बच्चों को अनिवार्य रूप से पढ़ाने के लिए कहा ताकि आदिवासी समाज सशक्त होकर विकास की ओर अग्रसर हो सके। कार्यक्रम में आदिवासी छात्र-छात्राओं द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए।

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