आदिवासियों के बीच हितैषी के रूप में जाने जाते हैं शिवराज सिंह चौहान

 भोपाल

विविधता से भरपूर आदिवासी संस्कृति के कारण देशभर में मध्यप्रदेश की एक अलग पहचान है। मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने हमेशा से आदिवासियों के समग्र विकास को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है। इस कारण मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान आदिवासियों के बीच हितैषी के रूप में जाने जाते हैं। मुख्यमंत्री  चौहान ने अपने चौथे कार्यकाल के 100 दिन पूरे किये हैं। इस अवधि में उन्होंने आदिवासियों के कल्याण के लिये डीबीटी के माध्यम से विभाग की 5 प्रमुख योजनाओं में तकरीबन 316 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आदिवासी वर्ग के ढाई लाख हितग्राहियों के खातों में अंतरित की है। यह राशि कोरोना संक्रमण के दौर में आदिवासियों के जीवन में आर्थिक संबल बन गई है।

अनुसूचित-जनजाति बहुल मध्यप्रदेश राज्य में जनजातीय समूह निवास करते हैं, जो कि मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या का पाँचवा हिस्सा होते हैं। प्रदेश में आदिवासी वर्गों के सर्वांगीण विकास के लिये आदिवासी उप-योजना की रणनीति अपनाते हुए विभिन्न विभागों के माध्यम से आर्थिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, सामाजिक उत्थान और अन्य विकास कार्य संचालित किये जा रहे हैं। प्रदेश में आदिवासी कल्याण कार्यक्रमों के लिये कुल जनजातीय आबादी के प्रतिशत के मान से प्रदेश के बजट में प्रावधान किया जा रहा है।

कुपोषण से मुक्ति के लिये आहार अनुदान योजना

प्रदेश में विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया, बैगा तथा भारिया के परिवारों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिये मुख्यमंत्री  चौहान ने पिछले 3 महीनों में 2 लाख 28 हजार से अधिक महिलाओं के खातों में 45 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अंतरित की गई है। इन जाति वर्ग की महिला मुखिया के खातों में एक हजार रुपये प्रतिमाह के मान से यह राशि अंतरित की गई है। आदिवासी वर्ग के प्रतिभाशाली छात्र देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पाकर अध्ययन कर सकें, इसके लिये आकांक्षा योजना के माध्यम से

इसी अवधि में 721 आदिवासी विद्यार्थियों के लिये डेढ़ करोड़ रुपये की राशि जारी की गई। लॉकडाउन के दौरान भी आदिवासी वर्ग के ये विद्यार्थी भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में जेईई, नीट और क्लेट जैसी प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। आदिवासी वर्ग के ऐसे विद्यार्थी, जिन्हें विभाग द्वारा संचालित छात्रावासों में प्रवेश नहीं मिल पाता है, उन्हें आवासीय सुविधा देने के लिये आवास योजना के माध्यम से आर्थिक मदद पहुँचाई जा रही है। पिछले 3 माह में 7 हजार आदिवासी वर्ग के विद्यार्थियों के खातों में 11 करोड़ 30 लाख रुपये की राशि अंतरित की गई है।

योजनाओं का ऑनलाइन एवं कम्प्यूटरीकरण

आदिवासी वर्ग के हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ सुलभता के साथ मिल सके, इसके लिये योजनाओं को ऑनलाइन एवं कम्प्यूटरीकृत करने का कार्य किया गया है। योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिये सॉफ्टवेयर का निर्माण किया गया है। अब हितग्राहियों को ऑफिस के चक्कर काटने से छुटकारा मिल गया है। परियोजना को मूर्त रूप देने के लिये सभी जनजातीय तथा अनुसूचित-जाति के हितग्राहियों को अपना पंजीयन कराना होता है। यह पंजीयन नि:शुल्क रूप से सरलता से किसी भी इंटरनेट कियोस्क पर कराया जा सकता है। पंजीयन कराये जाने के बाद हितग्राही से जुड़ी उसकी आय, शैक्षणिक विवरण एवं अन्य जानकारी पंजीकृत हो जाती है। प्रदेश में अब तक करीब 10 लाख अनुसूचित-जनजाति हितग्राही सॉफ्टवेयर के माध्यम से पंजीकृत किये जा चुके हैं। विभाग द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि प्रदेश के जनजातीय वर्ग के हितग्राहियों को सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ सरलता तथा पारदर्शी तरीके से मिल सके। इसके लिये विभाग के सॉफ्टवेयर को कोषालय, माध्यमिक शिक्षा मण्डल, पुलिस विभाग के सीसीटीएनएस सर्वर के साथ इंटीग्रेटेड किया गया है। इसके साथ ही हितग्राहियों को विभागीय योजनाओं का लाभ आधार लिंक खातों के माध्यम से देने के लिये डीबीटी पेमेंट मॉड्यूल गो-लाइव किया गया है। इस मॉड्यूल के लाइव होने से इस वर्ष 2020-21 में पोस्ट-मेट्रिक छात्रवृत्ति, आवास सहायता, मुख्यमंत्री मदद योजना, छात्रावास योजना एवं प्रतिभा योजना में 2 लाख 58 हजार हितग्राहियों के खातों में डीबीटी किया गया है।

विभाग द्वारा पोस्ट-मेट्रिक स्कॉलरशिप में एक लाख 9 हजार 217 विद्यार्थियों को 145 करोड़ 58 लाख रुपये, आवास योजना में 33 हजार 787 विद्यार्थियों को 39 लाख 41 हजार रुपये, मुख्यमंत्री मदद योजना में 12 हजार 445 हितग्राहियों के खातों में 30 करोड़ 61 लाख रुपये, हॉस्टल में रहने वाले 10 लाख दो हजार विद्यार्थियों को 90 करोड़ 37 लाख रुपये की शिष्यवृत्ति ट्रांसफर की गई है।

विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति

मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान की सोच थी कि प्रदेश के आदिवासी तबके का प्रतिभाशाली युवा विदेशों में उच्च शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययन कर प्रतिष्ठित नौकरी हासिल कर सके। इसी मकसद से विभाग द्वारा विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति संचालित की जा रही है। अब आदिवासी वर्ग के प्रतिभाशाली विद्यार्थी राज्य सरकार से मिलने वाली आर्थिक मदद से विदेशों के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में उच्च अध्ययन प्राप्त कर रहे हैं। इस वर्ष योजना में 50 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को मदद देने के लिये चयन प्रक्रिया की जा रही है।

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