आतंकियों से संपर्क करन के लिए एफएम ट्रांसमिशन का इस्तेमाल कर रही पाक सेना: सूत्र

 
नई दिल्ली

पाकिस्तान कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने हाल ही में कुछ कोड वर्ड्स का खुलासा किया है, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना और वहां की विभिन्न आतंकवादी समूहों द्वारा जम्मू और कश्मीर के आंतकवादियों से संपर्क साधने के लिए किया जा रहा था, ताकि क्षेत्र में हिंसा फैलाई जा सके। सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
 पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नियंत्रण रेखा के पास लगाए गए एफएम ट्रांसमिशन के जरिए भेजे जाते हैं, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद के लिए (66/88), लश्कर-ए-तैयबा के लिए (ए3) और अल बद्र के लिए (डी9) कोड रखे गए हैं। यह संवाद पाकिस्तान के राष्ट्रगान ‘कौमी तराना’ के माध्यम से किया जा रहा है, जो कि पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लगभग एक हफ्ते बाद किया गया था, जिसके बाद इस क्षेत्र में लैंडलाइन, मोबाइल फोन और इंटरनेट नेटवर्क को बंद कर दिया गया था।
 
खुफिया जानकारी में बताया गया है कि हाई फ्रीक्वेंसी वाले (वीएचएफ) रेडियो स्टेशनों द्वारा ‘कौमी तराना’ बजाकर भारत में एलओसी के नजदीक से सिगनल भेजे जा रहे थे, जिसका इस्तेमाल लश्कर, जैश और अल बद्र द्वारा जम्मू और कश्मीर में स्थानीय कैडर्स से संवाद के लिए भी किया जा रहा था।

सूत्रों का कहना है कि एलओसी के नजदीक आतंकवादियों द्वारा वीएफएफ संदेश प्राप्त किए जा रहे हैं और इसे हिंसा करने तथा आसपास के गांव वालों को गुमराह करने के लिए फैला रहे हैं। पाकिस्तान की सेना भी पीओके के वर्तमान एफएम ट्रांसमिशन स्टेशनों को एलओसी के करीब स्थानांतरित कर रही है। पाकिस्तानी सेना के 10 कॉर्प्स कमांडर ने इस काम को सिगनल कॉर्प को सौंपा है। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के इस कदम का उद्देश्य आतंकवादियों की भारत में घुसपैठ कराना है।

खुफिया सूत्रों की मानें तो एलओसी के पास पाकिस्तान के आतंकी कैंप फिर से सक्रिय हो गए हैं। इसके साथ ही 7 लॉन्च पैड भी तैयार किए गए हैं और 275 आतंकी भी ऐक्टिव हैं। जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए अफगान और पश्तून सिपाही भी तैनात किए जा रहे हैं।

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