आतंकवाद पर सुननी पड़ी नसीहत, ट्रंप के सामने कश्मीर राग अलाप रहे थे इमरान

नई दिल्ली         
कश्मीर पर मध्यस्थता के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर अमेरिकी विदेशी मंत्रालय ने सफाई दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला है. ट्रंप प्रशासन इस बात का स्वागत करेगा कि भारत पाकिस्तान बातचीत की मेज पर बैठें. इसमें अमेरिका मदद के लिए तैयार है. हालांकि, जो इमरान खान कश्मीर मसला अमेरिका के सामने उठा रहे थे, उन्हें आतंकवाद पर मुंह की खानी पड़ी है.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में साफ किया है कि भारत-PAK में जो मसला है उसकी असली जड़ पाकिस्तान की ज़मीन पर पनप रहा आतंकवाद है.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने बयान में आगे कहा है कि अमेरिका मानता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सफल बातचीत की बुनियाद अपनी सरजमीं पर आतंकवादियों के खिलाफ पाकिस्तान के निरंतर और अटल कदम पर आधारित होगी.
 
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान द्विपक्षीय मसला है. अगर दोनों देश बातचीत करते हैं तो ट्रंप प्रशासन इसका स्वागत करता है और मदद के लिए तैयार है. हम उन प्रयासों का समर्थन करेंगे, जो दोनों देशों के बीच तनाव को कम करते हैं और बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाते हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमारा मकसद आतंकवाद जैसे खतरे से निपटना है, जैसा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया. हम मदद के लिए तैयार हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने किया था यह दावा

इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे (ट्रंप) कश्मीर मामले में मध्यस्थता करने के लिए कहा. ट्रंप ने कहा था, 'मैं प्रधानमंत्री मोदी से दो हफ्ते पहले मिला था और हमने इस मुद्दे पर बात की थी. उन्होंने कहा कि आप मध्यस्थता करेंगे. मैंने कहा किस पर तो उन्होंने (मोदी) कहा कि कश्मीर. उन्होंने (मोदी) कहा कि बहुत सालों से ये विवाद चल रहा है. वो (पाकिस्तान) मुद्दों का हल चाहते हैं और आप भी इसका हल चाहते हैं. मैंने कहा कि मुझे इस मुद्दे में मध्यस्थता करके खुशी होगी.'

भारत ने ट्रंप के दावे को किया था खारिज

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था, 'पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों पर केवल द्विपक्षीय चर्चा की जाती है. पाकिस्तान के साथ तभी बातचीत होगी जब वह सीमा पार आतंकवाद को खत्म करे. शिमला समझौता और लाहौर घोषणा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से सभी मुद्दों को हल करने का आधार प्रदान करते हैं.'

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