सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मुख्य न्यायाधीश को फंसाने की व्यापक साजिश के दावे की जड़ तक जाएंगे

 नई दिल्ली
 
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वह एक अधिवक्ता के इस दावे की तह तक जाएगा कि मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (Chief Justice Ranjan Gogoi) को यौन उत्पीड़न के आरोप में फंसाने की एक बड़ी साजिश है। जस्टिस अरूण मिश्रा, आर एफ नरिमन और दीपक गुप्ता की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने कहा कि यदि फिक्सर अपना काम और न्यायपालिका के साथ हेराफेरी करते रहे, जैसा कि दावा किया गया है, तो न तो यह संस्था और न ही हममें से कोई बचेगा।
 
पीठ ने व्यापक साजिश का दावा करने वाले अधिवक्ता उत्सव सिंह बैंस को गुरुवार की सुबह तक एक और हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इससे पहले, अधिवक्ता ने दावा किया कि उसके पास कुछ और महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं। पीठ ने कहा कि इस मामले में अब कल आगे सुनवाई की जायेगी।

पीठ ने कहा, हम जांच करेंगे और फिक्सरों के सक्रिय होने और न्यायपालिका के साथ हेराफेरी करने के कथित दावों की तह तक जायेंगे। इस व्यवस्था में फिक्सिंग की कोई भूमिका नहीं है। हम इसकी जांच करेंगे और इसे अंतिम निष्कर्ष तक ले जायेंगे। इसके साथ ही पीठ ने स्पष्ट किया कि उत्सव बैंस के व्यापक साजिश के दावे पर सुनवाई और मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की आंतरिक जांच के आदेश के बीच कोई संबंध नहीं है।

इससे पहले, दिन में शीर्ष अदालत ने मुख्य न्यायाधीश को फंसाने की बड़ी साजिश होने के बैंस के दावों पर सुनवाई के दौरान सी बी आई तथा खुफिया ब्यूरो के निदेशकों और दिल्ली के पुलिस आयुक्त को साढ़े 12 बजे पेश होने तथा चैंबर में मुलाकात करने का निर्देश दिया। पीठ ने इस घटनाक्रम को बहुत ही ज्यादा परेशान करने वाला बताया क्योंकि यह देश की न्यायपालिका की स्वतंत्रता से संबंधित है। 
 
पीठ ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सालिसीटर जनरल तुषार मेहता का यह आग्रह ठुकरा दिया कि न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल से इस मामले की जांच करायी जाये। पीठ ने कहा कि इस समय न्यायालय किसी भी प्रकार की जांच में नहीं पड़ रहा है। यह कोई जांच नहीं है। हम इन अधिकारियों से गुप्त मुलाकात कर रहे हैं। हम नहीं चाहते कि कोई भी साक्ष्य सार्वजनिक हो।
 

सी बी आई और खुफिया ब्यूरो के निदेशकों तथा दिल्ली के पुलिस आयुक्त से मुलाकात के बाद तीन बजे बेंच ने फिर इस मामले में आगे सुनवाई की। इस मामले की सुबह सुनवाई शुरू होते ही अधिवक्ता उत्सव सिंह बैंस ने अपने दावे के समर्थन में सीलबंद लिफाफे में कुछ सामग्री पीठ को सौंपी। उत्सव बैंस ने एक हलफनामा दाखिल करके दावा किया था कि मुख्य न्यायाधीश को यौन उत्पीड़न के आरोपों में फंसाने की कथित फिक्सरों की एक बड़ी साजिश है।

पीठ ने बैंस द्वारा पेश सामग्री के अवलोकन के बाद कहा कि इस मामले में सामने आ रहे तथ्य ''बहुत ही परेशान करने वाले हैं। अटॉर्नी जनरल ने बैंस की 20 अप्रैल की फेसबुक पोस्ट का जिक्र किया जिसमे उसने कुछ व्यक्तियों द्वारा उच्चतम न्यायालय के फैसले तय करने और मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय की छवि खराब करने की बड़ी साजिश होनेका दावा किया था।
 

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