आईएएस से राजनेता बने फैसल से हटा पीएसए

श्रीनगर
जम्‍मू कश्‍मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री फारूक अब्‍दुल्‍ला और उनके बेटे उमर अब्‍दुल्‍ला के बाद अब जम्‍मू कश्‍मीर प्रशासन ने आईएएस अधिकारी से राजनेता बने शाह फैसल पर भी लगाया गया जन सुरक्षा कानून (पीएसए) हटा दिया है। केन्द्र सरकार ने पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेकर उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था, जिसके बाद मुख्यधारा के नेताओं समेत राज्य में सैकड़ों लोगों को पीएसए कानून के तहत हिरासत में ले लिया गया था।

जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) के प्रमुख शाह फैसल पर फरवरी 2020 में पीएसए लगाया गया था। पिछले साल 13 अगस्त को जब फैसल दिल्ली हवाई अड्डे से इस्तांबुल के लिए फ्लाइट पकड़ने जा रहे थे, उसी दौरान पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। उन्हें वापस श्रीनगर लाया गया और नजरबंद कर दिया गया। करीब छह महीने बाद उन पर पीएसए लगा दिया गया।

महबूबा मुफ्ती अभी भी हिरासत में
हालांकि मुख्यधारा के कई अन्य नेता अब भी हिरासत में हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, नैशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर और पूर्व मंत्री नईम अख्तर शामिल हैं। फारूक और उमर ने रिहाई के बाद महबूबा समेत हिरासत में रखे गए सभी लोगों की रिहाई की मांग की थी। हालांकि, इस लिस्ट में भी महबूबा का नाम शामिल नहीं है।

क्या है जन सुरक्षा अधिनियम?
जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) उन लोगों पर लगाया जा सकता है, जिन्हें सुरक्षा और शांति के लिए खतरा माना जाता हो। 1978 में शेख अब्दुल्ला ने इस कानून को लागू किया था। 2010 में इसमें संशोधन किया गया था, जिसके तहत बगैर ट्रायल के ही कम से कम 6 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। राज्य सरकार चाहे तो इस अवधि को बढ़ाकर दो साल तक भी किया जा सकता है।

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