आंध्रप्रदेश-तेलंगाना में नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ में ही रहना चाहते है ये आदिवासी

रायपुर 
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से 3 लाख से अधिक आदिवासी आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में रहने को मजबूर हैं. ये सभी आदिवासी सलवा जुडूम अभियान के समय से 2006 से ही छत्तीसगढ़ से पलायन कर चुके हैं और आंध्रप्रदेश में रह रहे है. लेकिन वहां की सरकार इन्हें न तो आदिवासी मानती है और न ही इन्हें वहां ठीक ढंग से बसने दे रही है. बस्तर क्षेत्र में अपनी जमीन होने के बाद भी ये वापस नहीं आ पा रहे है.

आदिवासियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में पुलिस उन्हे नक्सलियों का समर्थक समझती है और नक्सली पुलिस का समर्थक समझते हैं. यही वजह है कि अपनी जान बचाने इतनी बड़ी संख्या में आदिवासी आंध्रा और तेलंगाना में बस गए हैं लेकिन वहां भी इनकी स्थिति बदतर है. वर्तमान में सरकार बदली है तो इन्हें आस जगी है कि अब इन्हें इनके गांव में वापस बसने का मौका मिलेगा. बस्तर में शांति बहाल हो इसी मांग को लेकर 22 फरवरी से ये आदिवासी शांति साइकिल मार्च करते हुए शुक्रवार को रायपुर पहुंचे.

वहीं आदिवासियों की इस साइकिल रैली और उनकी मांगों को लेकर मंत्री कवासी लखमा का साफ कहना है कि जो भी छत्तीसगढ़ वापस आना चाहते है उनके लिए सरकार पूरा सहयोग करेगी. साथ ही आंध्रा और तेलंगाना सरकार से भी बात करके इनके जाति, निवास प्रमाण पत्र और बेहतर व्यवस्था वहां करने की मांग की जाएगी.

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