असम: नागरिकता संशोधन बिल पर BJP-AGP में दिखने लगीं दरारें

 
गुवाहाटी 

नागरिकता संशोधन विधेयक को संसदीय समिति से हरी झंडी मिलने के बाद संसद में उसे पेश किए जाने का रास्ता साफ हो गया है। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी का रुख जहां एकदम साफ है, वहीं उसकी सहयोगी पार्टी असोम गण परिषद (AGP) को अभी इस बारे में फैसला करना बाकी है। दरअसल, AGP इस विधेयक के खिलाफ है। विधेयक के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों, जैसे हिंदुओं, बौद्ध, जैन, पारसियों और ईसाइयों को भारत की नागरिकता के लिए आवेदन देने का प्रावधान है। 

उधर, सोमवार को जेपीसी मीटिंग में विपक्षी पार्टियों के संशोधनों को खारिज कर दिया गया। माना जा रहा है कि 3 जनवरी को एक ड्राफ्ट रिपोर्ट पेश की जाएगी और उसके बाद विधेयक लोक सभा में पेश किया जाएगा। असम के कृषि मंत्री और AGP अध्यक्ष अतुल बोरा ने कहा है, 'हम उम्मीद करते हैं कि बीजेपी विधेयक को आगे नहीं बढ़ाएगी। हम विधेयक के खिलाफ हैं। हम जेपीसी मीटिंग के नतीजों पर पार्टी फोरम में चर्चा करेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे।' 

'असम की पहचान पर खतरा' 
AGP का एक धड़ा पार्टी नेतृत्व पर बीजेपी का साथ छोड़ने का दबाव बना रहा है। AGP नेतृत्व ने भी यह कहा है कि अगर विधेयक को संसद में पेश किया गया तो वह गठबंधन से अलग हो जाएगा। AGP के मानना है कि विधेयक से असम की पहचान धूमिल हो जाएगी। बता दें कि हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में भी AGP और BJP के बीच काफी तनाव देखने को मिला था। दोनों के बीच जुबानी जंग भी चली और AGP चुनावों में अकेले ही उतर गई। हालांकि, बीजेपी और कांग्रेस के पीछे उसे तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। 
 

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