अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

 
नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने अयोध्या विवाद में ऐतिहासिक फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का देश के सभी समुदाय के लोगों ने स्वागत किया है। राजनीतिक दलों समेत इस मामले से जुड़े पक्षों ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को एक सुर में स्वीकार किया है। दशकों से लंबित इस मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के व्यापक फैसले को आइए 10 पॉइंट्स में समझते हैं।

1. सुप्रीम कोर्ट ने 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन मंदिर बनाने के लिए दे दी है।

2. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि केंद्र सरकार मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाए।

3. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया है कि वह तीन महीने के भीतर एक योजना बनाए, जिसके मुताबिक बोर्ड ऑफ ट्रस्टी तय किए जाएंगे। ये लोग ही मंदिर निर्माण का कामकाज देखेंगे।

4. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में ही मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन देने को भी कहा है। यह जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाएगी।

5. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि 2010 का इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला अतार्किक था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांट दिया था, जिसमें एक निर्मोही अखाड़े को, दूसरा राम जन्मभूमि न्यास को और तीसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जाना था।

6. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़े का दावा बेबुनियाद है। हालांकि कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि सरकार द्वारा बनाई जाने वाली कमिटी में निर्मोही अखाड़े के प्रतिनिधि को भी जगह दी जाए।

7. सुन्नी वक्फ बोर्ड के खिलाफ शिया वक्फ बोर्ड के दावे को सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया।

8. सुप्रीम कोर्ट का ट्रस्ट बनाने का फैसला एक तरह से वीएचपी समर्थित राम जन्मस्थान न्यास को मंदिर निर्माण के मामलों से बाहर करता है।

9. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि पुरातत्व विभाग के सबूतों को नकारा नहीं जा सकता है। एएसआई की रिपोर्ट इस तरफ इशारा करती है कि बाबरी मस्जिद किसी खाली पड़ी जमीन पर नहीं बनाई गई थी बल्कि यह एक हिंदू ढांचे के स्थान पर बनाई गई थी। हालांकि एएसआई की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर तोड़ा गया था या नहीं।

10. कोर्ट ने कहा कि 1992 में बाबरी मस्जिद को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ढहाया गया था। 1949 में मस्जिद की जगह मूर्तियां रखा जाना और बाद में मस्जिद का विध्वंस भी कानून के खिलाफ था।
 

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