अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुन्नी वक्फ बोर्ड में दो फाड़

 लखनऊ
अयोध्या मामले में तीन और मुस्लिम वादियों ने सोमवार को कहा कि वे 9 नवंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। इसके साथ ही 10 मुस्लिम वादियों में से पुनर्विचार की मांग करने वाले वदियों की संख्या सात हो गई है। रविवार को मुस्लिम वादियों ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मौजूदगी में ऐलान किया कि वे फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। इसके अलावा मामले में एक और पक्ष जमियत उलेमा-ए-हिंद ने कहा कि वह अलग से पुनर्विचार याचिका दायर करेगा।
 पुनर्विचार याचिका दायर करने वाले वादियों में हाजी महबूब, मौलाना हिज्बुल्ला और अब्दुल अहद (मामले में पहले मुस्लिम वादी) के दोनों बेटे हाजी असद अहमद और हाफिज रिजवान शामिल हैं।

हाजी महबूब ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'अयोध्या मामले में अन्य मुस्लिम वादियों के साथ हूं। मैंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को अपनी सहमति दे दी है। इसे महबूब का यू-टर्न माना जा रहा है। इससे पहले महबूब ने एआईएमपीएलबी के निष्कासित मौलाना सलमान नदवी से कहा था कि पुनर्विचार की कोई जरूरत नहीं है। बता दें कि नदवी के साथ मध्यस्थता कमिटी के श्री श्री रविशंकर के एक प्रतिनिधि भी थे।

हाजी असद ने कहा कि उन्होंने भी एआईएमपीएलबी को पुनर्विचार याचिका पर सहमति दे दी है। उन्होंने कहा, 'यह जरूरी है। हमें अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करना चाहिए और हम आखिर तक लड़ेंगे।' वहीं रविवार को देश में मुस्लिमों के सबसे बड़े संगठन एआईएमपीएलबी ने कहा था कि वह इस मामले में कोई पक्ष नहीं है। ऐसे में वह मुस्लिम वादियों को कानूनी मदद देंगे।

इस मामले में जिन तीन मुस्लिम वादियों ने पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करने का फैसला लिया है, उनमें यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ऑफ यूपी और इकबाल अंसारी हैं। इससे पहले रविवार को जमियत के अलावा मोहम्मद उमर मिसबहुद्दीन और मौलाना महफुजर रहमान ने पुनर्विचार याचिका दायर करने पर सहमति दी थी।
 

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