अयोध्या केस: आज से मुस्लिम पक्ष की दलील

नई दिल्ली
अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में हिंदू पक्ष पक्ष की तरफ से दलीलें पूरी होने के बाद सोमवार से सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम पक्षकारों की बहस सुनेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सभी हिन्दू पक्षों की बहस की सुनवाई 16 दिनों में पूरी कर ली है, जिसमें निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान शामिल हैं।

तकनीकी रूप से इस महीने खत्म हो सकती है मुस्लिम पक्ष की दलील
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वरिष्ठ वकील राजीव धवन सोमवार से निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान (देवता और उनका जन्म स्थान) के वकीलों की तरफ से पेश की गई बहसों का पाइंटवाइज जवाब अदालत के समक्ष पेश करेंगे। धवन ने शुरू में अदालत को बताया था कि वह अपनी बहस 20 दिनों में पूरी करेंगे। इसका अर्थ यह है कि मामले की दैनिक सुनवाई तकनीकी रूप से सितंबर के अंत तक खत्म होगी। इससे राजनीतिक रूप से विवादास्पद इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को एक महीने से अधिक का समय मिल जाएगा।

17 नवंबर को रिटायर हो रहे CJI, उससे पहले फैसले की बढ़ी उम्मीद
मामले की सुनवाई कर रही पीठ की अध्यक्षता कर रहे प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। मुस्लिम पक्षकार इस मामले में अपनी बहस में विवादास्पद स्थल पर निर्मोही अखाड़े के दावे का प्रतिवाद कर सकते हैं। यह अयोध्या टाइटल सूट की सुनवाई में एक खास चरण हो सकता है, खासतौर से तब जब निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट से कह दिया है कि वह रामलला विराजमान द्वारा दायर लॉसूट का विरोध नहीं कर रहा।

रामलला विराजमान द्वारा लॉ सूट का निर्मोही अखाड़े ने नहीं किया विरोध
निर्मोही अखाड़े के रुख में अचानक यह बदलाव तब आया जब सुप्रीम कोर्ट ने उससे कहा कि संपत्ति पर शेबैत (भक्त) के रूप में उसका अधिकार तभी बन सकता है, जब राम लला विराजमान के मुकदमे की अनुमति हो। अखाड़े के एक सूत्र के अनुसार, मुस्लिम पक्षकार 150 वर्षों से विवादित स्थल पर अखाड़े की उपस्थिति का खंडन करेंगे और यह भी स्थापित करने की कोशिश करेंगे कि मूर्तियां अंदर के आंगन में कभी नहीं थीं, बल्कि उन्हें वहां रखा गया था।

नाबालिग हैं रामलला….पेश हुईं कई दिलचस्प दलीलें
16 दिन की सुनवाई में हिंदू पक्ष (रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा) के वकीलों ने अपनी बात को पूरी प्रमाणिकता के साथ रखने की भरसक कोशिश की है। सुनवाई के दौरान दिलचस्प दलीलें भी रखी गईं। कभी रामलला को नाबालिग बताया गया तो कभी मालिकाना हक के सबूत डकैती में लुटने की बात भी सामने आई। सुप्रीम कोर्ट ने भी राम के वंशजों के बारे में पूछकर हलचल मचा दी। सुनवाई के पहले दिन ही हिंदू पक्ष ने यह दलील रखी। निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील जैन ने कहा कि विवादित भूमि पर 1949 के बाद से नमाज नहीं हुई इसलिए मुस्लिम पक्ष का वहां दावा ही नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि जहां नमाज नहीं अदा की जाती है, वह स्थान मस्जिद नहीं मानी जा सकती है।

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