अम्फान से भीषण तबाही, कम से कम 10-12 लोगों की गई जान : ममता

 
कोलकाता

अम्फान तूफान ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में तबाही मचाई है. दोनों राज्यों में एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. देर रात तक तेज बारिश और तूफानी हवाएं दोनों राज्यों को झकझोरती रही. ऐसा अंधड़ बीते कई सालों में न किसी ने देखा न सुना. हवा की रफ्तार ऐसी थी मानो धरती पर जो कुछ भी है सब उखाड़कर उड़ा ले जाने को बेकरार है.

अम्फान तूफान ने ओडिशा और बंगाल के लोगों को चंद घंटों में ही कयामत की झलक दिखा दी. तूफान की रफ्तार जब तक थमी, कोलकाता में सबकुछ उलट पुलट हो चुका था. शहर में चारों तरफ पानी भर चुका था. गाड़ियां नावों की तरह तैर रही थी. सड़कों पर पेड़ उखड़े पड़े थे. बड़े बड़े होर्डिंग, बिजली के पोल औंधे मुंह गिरे हुए थे.

बंगाल में 10-12 लोगों की मौत

पश्चिम बंगाल में तूफान से तबाही कितनी हुई इसका हिसाब किताब अभी बाकी है, लेकिन सीएम ममता बनर्जी कह रही हैं कि कम से कम 10-12 लोग तो तूफान की भेंट चढ़ ही गए हैं. उनका कहना है कि डीएम, एसपी और प्रशासन के अधिकारी जमीनी स्तर पर हैं. अभी नंबर के बारे में सही जानकारी नहीं है, लेकिन 10-12 लोगों की मौत हुई है. 

बुधवार शाम के वक्त जब तूफान पूरे शबाब पर था. हावड़ा ब्रिज भी इसके आगे नतमस्तक हो चला. आंधी के झोंकों ने पुल को ऊपर से लेकर नीचे तक कुछ इस तरह अपने आगोश में ले लिया कि पुल दिखना ही बंद हो गया. हावड़ा में तूफानी हवाओं के जोर से एक स्कूल की छत देखते-देखते ही उड़ गई.

कोलकाता में 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा
बंगाल में समुद्र तट से टकराने के वक्त तूफान की रफ्तार 180 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा पहुंच गई थी, जबकि कई घंटे बाद तक कोलकाता शहर में 130 किमी प्रति घंटे की तक की रफ्तार से हवाएं चलती रहीं. अम्फान का सबसे ज्यादा कहर प. बंगाल के उत्तर 24 परगना, दक्षिणी 24 परगना, मिदनापुर और कोलकाता में रहा.

ओडिशा में तीन लोगों ने गंवाई जान
बंगाल के मुकाबले ओडिशा में तूफान का कहर कुछ कम रहा. यहां ज्यादा असर बालासौर, भद्रक और केंद्रपाड़ा में दिखा लेकिन इन इलाकों में भी हवा की रफ्तार 110 किमी से ज्यादा नहीं रही. इसके बावजूद ओडिशा में अभी तक 3 लोगों की मौत की खबर है.

राहत और बचाव कार्य जारी
तबाही का मंजर बंगाल में कई जगहों पर है, तूफान के गुजर जाने के बाद उसके गहरे निशान हर तरफ बसरे हैं. राहत टीमें टूटे पेड़ों को सड़कों से हटाने में जुटी हैं, लेकिन काम खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा. सड़कों पर पानी भरा होने के चलते राहत काम में और भी मुश्किल आ रही है.
 

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