अमेरिका ने अपने रिकॉर्ड्स चेक कर भारत को बताया- कश्मीर को लेकर ट्रंप के दावे का कोई सबूत नहीं

 नई दिल्ली
क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली मुलाकात में कश्मीर मुद्दे पर कुछ बात हुई थी? दोनों देशों के पास कम-से-कम इसका कोई रिकॉर्ड तो नहीं है। राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी आखिरी बार जापान के शहर ओसाका में पिछले महीने आयोजित जी-20 सम्मेलन में मिले थे।इकनॉमिक टाइम्स को पता चला है कि कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता को लेकर ट्रंप के नाटकीय दावे के बाद मची सियासी हलचल के बीच दोनों देशों ने अपने-अपने आधिकारिक रिकॉर्ड्स खंगाले और पाया कि ट्रंप के ताजा बयान से संबंधित किसी बात का कहीं, कोई जिक्र नहीं है। खुद अमेरिका ने भारत को कहा कि उसके किसी रिकॉर्ड में ट्रंप के दावे का सबूत नहीं मिला।

रिकॉर्ड्स में ट्रंप के दावे का नहीं है कोई जिक्र
सूत्रों ने बताया कि अमेरिका ने अनौपचारिक तौर पर भारतीय पक्ष से बात की और इस बात की पुष्टि भी की कि न तो अमेरिकी विदेश मंत्रालय और न ही वाइट हाउस के आधिकारिक रिकॉर्ड्स में ट्रंप के दावे को लेकर कुछ भी पाया गया है। इधर, भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी ट्रंप-मोदी संवाद के रिकॉर्ड्स चेक किए और पाया कि कश्मीर पर दूर-दूर तक ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई जिससे कि ट्रंप को मोदी की बात समझने में किसी प्रकार के भ्रम की आशंका भी जताई जा सके।

दोनों देशों के बीच पिछले कुछ घंटों में हुए सूचना के आदान-प्रदान के बीच अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर ताजा हालात से निपटने की कोशिश की जिसमें ट्रंप के बयान को सीधे-सीधे खारिज तो नहीं किया गया, लेकिन इस मुद्दे पर अमेरिका के नजरिया जरूर दोहराया गया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा, 'कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है जिस पर दोनों पक्ष ही बातचीत करेंगे। ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान और भारत के (वार्ता की मेज पर) बैठने का स्वागत करेगा और (इस काम में) अमेरिका मदद करने को तैयार है।'

पीएम मोदी ने कश्मीर पर दी थी चेतावनी
यह ध्यान देना जरूरी है कि मोदी ने 2015 में पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी को कड़ा संदेश दिया था जब अपने वाइब्रैंट गुजरात सम्मेलन में शिरकत करने भारत आए केरी ने कश्मीर मुद्दे और भारत-पाकिस्तान वार्ता पर अपने विचार रखे। तब पीएम मोदी ने तत्कालीन ओबामा ऐडमिनिस्ट्रेशन के सामने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को लेकर लाल रेखा खींच दी थी। उसके बाद अमेरिका की तरफ से यह मामला कभी नहीं उठाया गया था।

कश्मीर पर बयान देकर घर में घिरे ट्रंप
सूत्रों ने बताया कि अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रेप्रजेंटेटिव) के सदस्य और डेमोक्रैटिक पार्टी के सांसद ब्रैड शरमन कश्मीर पर पीएम मोदी के इस कड़े रुख से वाकिफ थे। ट्रंप के बयान पर उनके ट्विटर पोस्ट से भी इसका आभास होता है। उन्होंने ट्वीट में कहा कि दक्षिण एशिया की विदेश नीति से वाकिफ हर किसी को कश्मीर को लेकर भारत की नीति पता है। उन्होंने लिखा, 'हर कोई जानता है कि पीएम मोदी इस तरह की बात कभी नहीं करेंगे। ट्रंप का बयान गैर-जिम्मेदाराना और भ्रामक है।'

ओसाका बैठक में कश्मीर का जिक्र ही नहीं
ट्रंप के इस नाटकीय बयान से मोदी सरकार हैरत में पड़ गई क्योंकि ओसाका में ट्रंप और मोदी के बीच अकेले में या अनौपचारिक बातचीत हुई ही नहीं थी। दोनों के बीच आधे घंटे तक औपचारिक संवाद हुआ और वार्ता के दौरान अधिकारियों की भी मौजूदगी रही थी। उस दौरान भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव, ईरान का मसला, भारत ने कैसे ऊंची आर्थिक कीमत चुकाकर ईरान से आयात घटाया, 5जी की चुनौती और द्विपक्षीय सुरक्षा समझौतों को लेकर बातचीत हुई थी। इस दौरान कश्मीर का कोई जिक्र नहीं हुआ। उसके बाद ट्रंप और मोदी की मुलाकात सिर्फ JAI (जापान, अमेरिका और इंडिया) की त्रिपक्षीय मीटिंग में ही हुई थी जिसमें स्वाभाविक तौर पर जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भी मौजूद थे। तीनों नेताओं ने साथ मिलकर कनेक्टिविटी प्रॉजेक्ट्स के लिए संसाधन जुटाने को लेकर बात की थी।

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