अमेरिका-ईरान तनाव: भारतीय एयरलाइंस ने भी बंद किया ईरान के एयरस्पेस का इस्तेमाल

नई दिल्ली
अमेरिका और ईरान के बीच लगातार बढ़ रही टेंशन की आंच भारत तक भी पहुंच गई है। भारत की सभी एयरलाइंस ने डीजीसीए (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) के साथ परामर्श के बाद ईरान के एयरस्पेस में न जाने का फैसला किया है। उनका कहना है कि उन्होंने पैसेंजर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया है। ऑपरेटर्स का कहना है कि वे फ्लाइट के वैकल्पिक रूट पर विचार करेंगे। बता दें कि इससे पहले दुनिया की कई एयरलाइंस ईरानी एयरस्पेस में न जाने का ऐलान कर चुकी हैं।

पश्चिमी देशों का रास्ता होगा और लंबा
इस फैसले के बाद दक्षिण एशिया और पश्चिमी देशों के बीच दूरी और बढ़ जाएगी। इसका असर नई दिल्ली पर भी होगा। बता दें कि पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायु सेना की कार्रवाई के बाद से अब तक पाकिस्तान एयर स्पेस पूरी तरह बंद है। ऐसे में दक्षिण एशिया से पश्चिमी देशों का रास्ता और लंबा हो जाएगा।

भारतीय एयरलाइंस के इस ऐलान से ठीक पहले यूएई एतिहाद एयरवेज ने भी स्थानीय प्राधिकरण से चर्चा करने के बाद ईरानी के एयर स्पेस को छोड़कर वैकल्पिक रूट से फ्लाइट ले जाने का फैसला किया।

इससे पहले ऑस्ट्रेलिया की क्वांटस, ब्रिटिश एयरवेज, नीदरलैंड्स की केएलएम और जर्मनी की लुफ्थांसा भी उस क्षेत्र में उड़ान से पहरेज करेंगी। वैश्विक एयरलाइंस को दिशानिर्देश मुहैया कराने वाली कंपनी OPS ग्रुप ने चेतावनी देते हुए कहा, 'किसी नागरिक विमान को दक्षिणी ईरान में मार गिराने का खतरा वास्तविक है।'

वहीं FAA (द फेडरल एविएशन ऐडमिनिस्ट्रेशन) ने कहा कि उसकी चेतावनी तेहरान फ्लाइट इंफर्मेशन रीजन के क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है। एफएए ने कहा, 'क्षेत्र में सैन्य गतिविधियां और राजनीतिक तनाव बढ़ा हुआ है जो कि अमेरिकी नागरिक उड़ानों के लिए अनजाना जोखिम उत्पन्न करता है और यह गलत पहचान का खतरा उत्पन्न करता है।'

ऑस्ट्रेलिया की एयरलाइंस क्वांटस ने कहा कि होर्मुज जलडमरूमध्य और ओमान की खाड़ी से बचने के लिए वह अपनी लंदन उड़ानों के मार्ग परिवर्तित करेगी। नीदरलैंड एयरलाइन केएलएम और ब्रिटिश एयरवेज ने भी कहा कि उनकी उड़ानें जलडमरूमध्य से परहेज करेंगी। लुफ्थांसा ने कहा कि वह होर्मुज जलडमरूमध्य और ओमान की खाड़ी के साथ ही आसपास के क्षेत्र से परहेज करेगी। हालांकि, उसने कहा कि वह तेहरान के लिए अपनी उड़ानें जारी रखेगी।

क्या है पूरा मामला
बता दें कि अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बाद गुरुवार को ईरान की ओर से दागी गई सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल से अमेरिकी नौसेना के मानवरहित विमान RQ-4A ग्लोबल हॉक को मार गिराने के बाद द फेडरल एविएशन ऐडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने क्षेत्र में 'गलत पहचान या गलत अनुमान की संभावना' की चेतावनी दी। अमेरिका के उक्त ड्रोन विमान के पंख बोइंग 737 जेट से बड़े थे और इसकी कीमत 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक थी। अमेरिका ने कहा कि इस घटना के बाद उसने ईरान पर सीमित हमले की योजना बनाई थी लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया।

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