अमेरिका-ईरान तनाव: दुनिया में बदल रहा जंग का मैदान, गेमचेंजर साबित होगा ‘डिजिटल स्‍ट्राइक’

नई दिल्‍ली/वॉशिंगटन/तेहरान
अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध शुरू हो चुका है और बहुत जोर-शोर से चल रहा है! आपको थोड़ा हैरान होंगे और सवाल करेंगे कि जमीन पर ऐसा तो कुछ दिख नहीं रहा है। दरअसल अमेरिका ने इस बार जंग का मैदान बदल दिया है। दुनिया के इस सबसे शक्तिशाली मुल्क ने ईरान के खिलाफ भविष्य का 'ब्रह्मास्त्र' चलाया है। अपने अत्‍याधुनिक ड्रोन को मार गिराए जाने से बौखलाए राष्‍ट्रपति डॉनल्‍ड ट्रंप ने मिसाइल हमले के आदेश पर यू-टर्न के बाद ईरान पर 'साइबर स्‍ट्राइक' किया है। कहा जा रहा है कि अमेरिका ने इसके जरिए ईरानी सैन्‍य सिस्‍टम को तबाह कर दिया है। वह भी बिना खून का एक कतरा गिराए। ईरान भी इसी अंदाज में पलटवार की कोशिश में है।

…बिना बम गिराए अमेरिका ने ईरान की सेना को कर दिया बेबस! अमेरिका और ईरान के बीच जारी साइबर वॉर भविष्‍य की जंग का एक नमूना भर है। दुनिया मिसाइलों, टैंकों और तोपों से निकलकर साइबर वेपन की ओर बढ़ रही है और इस जंग में जीत के लिए सभी महारथियों ने अपनी तैयारियों को पुख्‍ता करना शुरू कर दिया है। अपने शक्तिशाली ड्रोन पर हमले के बाद अमेरिका ने 20 जून को साइबर अटैक करके ईरानी सेना के सैन्‍य कमांड और कंट्रोल सिस्‍टम को तबाह कर दिया। इसके अलावा ईरान के उन खुफिया समूहों को निशाना बनाया गया जिन पर हाल के दिनों में तेल टैंकरों पर हमले का शक था। कई कंप्‍यूटर सिस्‍टमों को निशाना बनाया गया। इस अभियान से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि ईरान के मिसाइल लॉन्‍च करने के कंप्‍यूटर भी इस हमले का शिकार बने। इस हमले में किसी व्‍यक्ति की मौत नहीं हुई। इससे पहले ट्रंप ने कहा था कि मिसाइल हमले में ईरान के आम नागरिक मारे जाते, इसलिए उन्‍होंने अपने फैसले को वापस ले लिया। दरअसल, ट्रंप अपने फैसले से पीछे नहीं हटे बल्कि अमेरिकी हमले का तरीका बदल दिया। उन्‍होंने मिसाइल की जगह पर साइबर अटैक का आदेश दिया।

ईरान ने भी किया पलटवार
अमेरिकी साइबर हमले के बाद ईरान ने भी पलटवार किया है। साइबर सिक्‍यॉरिटी कंपनी फायरआई के मुताबिक ईरान से जुड़े APT39, APT33, APT34 हैकर समूहों ने अमेरिका की दूरसंचार और एयरोस्‍पेस कंपनियों को निशाना बनाया। हालांकि इसमें अमेरिका को कितना नुकसान हुआ है, इसकी पुष्टि नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि ईरान हैकर समूह APT34 2014 से सक्रिय है और लगातार ईरान के पक्ष में साइबर हमले करता रहता है। ऐसा नहीं है कि अमेरिका ने इस तरह की डिजिटल स्‍ट्राइक पहली बार की है।

अमेरिका-इजरायल पहले भी कर चुके हैं ऐसा अटैक इससे पहले भी अमेरिका और इजरायल ने ईरान के खिलाफ साइ‍बर अटैक किया था। माना जाता है इस हमले में इस्‍तेमाल कंप्‍यूटर वायरस स्‍टक्‍सनेट को अमेरिका और इजरायल ने मिलकर बनाया था और उसने ईरान के पूरे डिजिटल सिस्‍टम को तबाह कर दिया था। पहली बार वर्ष 2010 में इस वायरस के बारे में पता चला था। इसके जवाब में ईरान ने भी अपनी साइबर आर्मी तैयार की है। ईरान ने अपने महत्‍वपूर्ण कंप्‍यूटरों को ऑफलाइन भी कर दिया है। इससे पहले भी अमेरिका ने अपने मध्‍यावधि चुनाव के दौरान रूस के इंटरनेट रिसर्च एजेंसी को निशाना बनाया था। रूस पर अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान साइबर हमले करने का आरोप लगा था। इसके बाद अमेरिका ने रूसी सिस्‍टम में अपने हथियार तैनात किए हैं ताकि जरूरत पड़ने पर उन्‍हें पंगु बनाया जा सके।

गेमचेंजर है साइबर अटैक
विशेषज्ञों के मुताबिक तेजी से डिजिटल होती दुनिया में साइबर अटैक आने वाले समय में गेम चेंजर साबित हो सकती है। सोचिए अगर किसी देश की मिसाइलें लॉन्‍च न हो पाएं, पनडुब्बियां आपके आदेश को न मानें और परमाणु हथियारों से जुड़े कंप्‍यूटर काम न करें। ऐसे में वह देश जंग के समय असहाय हो जाएगा और बिना लड़े ही घुटने टेक देगा। साइबर अटैक इसे संभव बनाता है। सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि इस हमले में किसी जान या माल का नुकसान नहीं होता है। आने वाले समय में 5G तकनीक और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस इस जंग को और तेज करेंगे।

ये देश कर रहे साइबर वॉर की तैयारी
अमेरिकी खुफिया एजेंसी के मुताबिक हरेक देश अपनी साइबर वॉरफेयर तकनीक और साइबर डिफेंस क्षमता में निवेश कर रहा है। इसके अलावा 30 देश ऐसे हैं जो आक्रामक साइबर अटैक क्षमता पर काम कर रहे हैं। हालांकि ज्‍यादातर देश यह काम बेहद गोपनीय तरीके से कर रहे हैं। इस तरह से गोपनीय साइबर हथियारों की जंग पहले ही शुरू हो गई है। अमेरिका का मानना है कि रूस, चीन, ईरान और उत्‍तर कोरिया उसके लिए बड़ा खतरा हैं। अमेरिका ने चेतावनी दी है कि रूस के पास 'बेहद उन्‍नत अक्रामक साइबर प्रोग्राम' है। विशेषज्ञों के मुताबिक उत्‍तर कोरिया ने एक ऐसा हथियार बनाया है जो करोड़ों डॉलर चुरा सकता है। इससे दुनियाभर में गंभीर संकट पैदा हो सकता है।

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के मुताबिक चीन बहुत तेजी के साथ साइबर युद्ध की क्षमता को बढ़ा रहा है ताकि वह अमेरिका की बराबरी कर सके। चीन अमेरिकी रक्षा नेटवर्क में घुसकर डेटा इकट्ठा कर रहा है जिससे भविष्‍य में संकट पैदा हो सकता है। इन सबके बावजूद माना जाता है कि अमेरिका की साइबर डिफेंस और साइबर अटैक क्षमता सबसे अच्‍छी है। वर्ष 2016 में अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने भी कहा था कि हमने रक्षा और साइबर अटैक करने की बेहतरीन क्षमता हासिल कर ली है। अमेरिका ने अपने साइबर कमान को एकीकृत युद्ध कमान में बदल दिया है। इसके अलावा कई बेहद घातक साइबर हथियार बनाए गए हैं।

भारत ने बनाई द डिफेंस साइबर एजेंसी
भारत भी बेहद गोपनीय तरीके से साइबर वॉरफेयर की तैयारी कर रहा है। हाल के दिनों में पाकिस्‍तानी साइबर अटैक काफी बढ़ गया है, इसको देखते हुए सरकार ने भी अपनी तैयारी तेज कर दी है। इसके तहत सेना, नौसेना और वायुसेना की एक संयुक्‍त एजेंसी द डिफेंस साइबर एजेंसी बनाई जा रही है जो साइबर हमलों का मुकाबला करेगी। इसमें 1000 विशेषज्ञ होंगे जो सेना, नौसेना और एयरफोर्स को दिए जाएंगे। यह एजेंसी दुश्‍मनों पर हमले करेगी और भारतीय प्रतिष्‍ठानों का बचाव भी करेगी।

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