अमन-चैन की सामूहिक दुआ के साथ ख़त्म हुआ आलमी तब्लीगी इज्तिमा

भोपाल
 दुनिया में अमन-चैन की सामूहिक दुआ के साथ भोपाल में चल रहा आलीमी तब्लीगी इज्तिमा आज ख़त्म हो गया. अगले साल फिर यहीं मिलने की उम्मीद के साथ दुनिया भर से आयीं जमातें अपने वतन के लिए रवाना हो गयीं. हज़रत मौलाना साद साहब ने बयान के बाद सामूहिक दुआ करायी. मुस्लिम समुदाय का ये मज़हबी सम्मेलन पहली बार 4 दिन का रहा. इसमें कुरआन के मुताबिक ज़िंदगी जीने की तकरीरें धर्मगुरुओं ने दीं.

अमन की दुआ
भोपाल में इस्लाम के दुनिया के इस सबसे बड़े मज़हबी समागम में करीब 35 देशों की जमातें इस बार आयीं. 22 नवम्बर से शुरु हुआ चार दिवसीय आलमी तब्लीगी इज्तिमा का आज आखिरी दिन था. आख़िरी दिन दुनिया में अमन-चैन के लिए सामूहिक दुआ की गयी. 4 दिन तक लगातार धार्मिक तकरीरें हुईं. इसमें इस्लाम में बताए पैग़ाम के मुताबिक ज़िंदगी जीने की राह लोगों को बतायी गयी.

इज्तिमा के लिए शासन-प्रशासन ने व्यापक इंतज़ाम किए थे. जमातों की रवानगी के लिए 12 स्पेशल ट्रेन चलाई गईं.23 ट्रेनों में एक्सट्रा बोगी लगाई गईं.आरटीओ की तरफ से जमातों के लिए 400 बसें उपलब्ध करायी गयीं. भीड़ को देखते हुए आयोजन स्थल के आस पास के रूट डायवर्ट कर दिए गए थे. सरकारी संस्थाओं में आधे दिन की छुट्टी घोषित की गई.सुरक्षा के लिहाज़ से आखिरी दिन पुलिस बल बढ़ाया गया. 10 हज़ार की जगह 15 हज़ार पुलिस जवान और 35 हज़ार की जगह 45 हज़ार वॉलेंटियर तैनात किए गए थे.

22 से 25 नवंबर तक चले इज्तिमा में पूरी दुनिया से इस्लाम के अनुयायी मज़हबी तीलाम हासिल करने आए. इस दौरान उलेमा की तकरीरें हुईं. इज्तिमा में,कुरआन में दी गई शिक्षा के मुताबिक जिंदगी गुजारने की सीख दी जाती है. इस बार का आयोजन का 72 वां साल था.

ये है इतिहास
इज्तिमा का इतिहास 72 साल पुराना है. वर्ष 1944 में ये सिर्फ 13 लोगों के साथ शुरू हुआ था. जिसमें अब लाखों लोग शामिल होते हैं. इस बार 13 लाख से भी ज़्यादा मुस्लिम अनुयाइयों के इसमें शामिल होने का अनुमान था.पहले इज्तिमा एशिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में शुमार भोपाल की ताजुल मसाजिद में होता था. लेकिन इसमें बढ़ती जमातों की संख्या तो देखते हुए इसे शहर के बाहर ईंटखेड़ी में शिफ्ट कर दिया गया.

4 लेयर सुरक्षा व्यवस्था
इज्तिमा के लिए शासन-प्रशासन हर साल व्यापक स्तर पर इंतज़ाम करता है. इस बार भी यहां चार लेयर में सुरक्षा बैठायी गयी थी. पूरे इज्तिमा स्थल पर 200 सीसीटीवी कैमरे और चार हज़ार जवान लगाए गए. सुरक्षा व्यवस्था को A-B-C-D में बांटा गया. इसमें होमगार्ड्स, लोकल पुलिस, आरएएफ, एसएएफ तैनात रहे. इन चारों ने मिलकर बाहरी और आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था संभाली.इज्तिमा स्थल पर बम डिस्पोजल स्क्वायड और डॉग स्क्वायड तैनात रहे.

पार्किंग के विशेष इंतज़ाम
इज्तिमा में आने वाली जमातों के लिए पार्किंग के भी व्यापक इंतज़ाम किए गए. दूसरे राज्यों से आने वाली गाड़ियों के लिए अलग पार्किंग व्यवस्था थी.पूरे आयोजन के दौरान एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड तैनात रही. पहली बार इज्तिमा को टोल फ्री किया गया था.

हाईटेक हुआ इज्तिमा
बदलते वक़्त के साथ इज्तिमा भी हाईटेक रहा. पहली बार ये डिजिटल हुआ. इसका एक एप्प लांच किया गया था. इस बार पीएम मोदी की मुहिम को ध्यान में रखते हुए नो पॉलीथिन और ज़ीरो वेस्ट थीम रखी गयी थी. इज्तिमा स्थल और उसके आसपास के एरिया में सिगरेट और बीड़ी पर पाबंदी थी.

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