अब 22 डिस्पेंसरी CMHO के नियंत्रण में, एक दशक पुरानी व्यवस्था लागू

भोपाल
राज्य शासन द्वारा शहरी क्षेत्र में संचालित सरकारी अस्पताल और शहरी स्वास्थ्य संस्थाओं के प्रशासकीय और वित्तीय अधिकारों को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) को सौंप दिये हैं करीब एक सप्ताह पहले शासन ने अपने फैसले में सिविल सर्जन (सीएस) से अधिकार छीनकर सीएमएचओ को सौंप दिए हैं। 

इस आदेश के बाद शहरी क्षेत्र में सिविल सर्जन के नियंत्रण में रहने वाली 22 डिस्पेंसरी अब सीएमएचओ के नियंत्रण में रहेंगी। सीएमएचओ के पास पहले से ही कई जिम्मेवारियां होने के साथ-साथ राष्ट्रीय कार्यक्रमों, अभियानों और बैठकों का भी लोड रहता है। 

शासन के प्रशासकीय हित का हवाला देने वाले इस फैसले पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सीएमएचओ के पास पहले से काफी जिम्मेदारी होती है। अब उनके पास जिलों में 20 से 49 डिस्पेंसरी और सीएससी आ जाएंगी। इससे कार्यभार बढ़ जाएगा, जबकि सीएस के पास जिला अस्पताल होंगे। सीएमएचओ-सीएस में वित्तीय फैसलों पर टकराव की स्थित बनेगी। इससे एक दर्जन से ज्यादा अहम योजनाएं टीकाकरण, पल्स पोलियो और प्रचार-प्रसार के कार्यक्रमों पर असर पड़ेगा। 

स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह द्वारा जारी किये गये इस आदेश के बाद कई महत्वपूर्ण डिस्पेंसरी अब सिविल सर्जन के नियंत्रण से बाहर हो गर्इं हैं जिनमें राजभवन, सीएम हाउस, एमएलए रेस्ट हाउस, वल्लभ भवन, बैरागढ जैसी डिस्पेंसरी अब सीएमएचओ के आदेशों पर काम करेंगी। अभी तक जिला अस्पताल में सिविल सर्जन के आदेश पर इमरजेंसी और रोस्टर के मुताबिक डिस्पेंसरीज के डॉक्टरों की ड्यूटी लगती थी,इससे डिस्पेंसरी के डॉक्टर्स को हर तरह के मरीजों और इमरजेंसी का अनुभव मिलता था, लेकिन नये आदेश के बाद डिस्पेंसरी से जिला अस्पताल में ड्यूटी से बचने वाले डॉक्टर अब जुगाड करके बचने का प्रयास करेंगे।

करीब एक दशक पहले भी यही व्यवस्था लागू थी लेकिन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों पर काम के बोझ के कारण शहरी क्षेत्र के अस्पतालों को सिविल सर्जन के अधीन कर दिया गया था। अब पौने ग्यारह साल बाद वही व्यवस्था पुन: लागू कर दी गई है। 

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