अब शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों की भीड़ नहीं जुट रही

नई दिल्ली
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले 84 दिनों से प्रदर्शनकारी जमे हुए हैं। करीब तीन महीने से यहां जमे प्रदर्शकारियों ने नोएडा और फरीदाबाद लिंक रोड को बंद कर रखा है। इसके बावजूद सरकार CAA पर कदम पीछे करने को तैयार नहीं है। इतना लंबा समय बीत जाने के बाद अब शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों की भीड़ छंटने लगी है। धरनास्थल पर दिन में अब पहले जितनी भीड़ नहीं जुट रही है। स्थानीय लोग इसके पीछे अलग-अलग कारण बता रहे हैं।

क्या प्रदर्शकारियों का टूट रहा मनोबल?
शाहीन बाग में धरनास्थल पर दिन के समय काफी कम लोग नजर आ रहे हैं, लेकिन शाम होने के साथ ही यहां भीड़ बढ़ने लगती है। शुक्रवार को दोपहर के समय धरनास्थल पर कोई 70-80 लोग ही नजर आए, जबकि कुछ दिन पहले तक इसी समय यहां 500 से 600 लोगों की भीड़ देखने को मिलती थी। कई बार तो धरनास्थल हजारों की भीड़ से गुलजार रहता था। बाहर से भी लोग समर्थन जताने के लिए यहां पहुंचते रहे। पिछले दिनों जब सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थ प्रदर्शनकारियों से बात करने पहुंचे थे उस दौरान भी इन लोगों के बीच फूट के हालात देखने को मिले थे। मध्यस्थों के समझाने पर कुछ प्रदर्शनकारी रास्ता खोलने को तैयार थे तो कुछ इसे बंद रखने के फैसले पर ही डंटे रहने की बात करते दिखे थे।

पिछले करीब तीन महीने से सीएए और एनआरसी कानून को वापस लेने के लिए चल रहे इस प्रदर्शन पर अभी तक केंद्र सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। ना ही उनकी मांगों को किसी तरह से मानने के कोई संकेत मिले हैं। क्या यही वजह है कि शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है?

क्या कहना है प्रदर्शनकारियों का?
इस संबंध में प्रदर्शनकारी महिलाओं से बात की तो एक महिला ने कहा कि बच्चों के पेपर हैं। वहीं एक अन्य महिला का कहना है कि कई लोग बीमार पड़ गए हैं, जिसकी वजह से कुछ महिलाएं यहां पूरे दिन मौजूदगी दर्ज नहीं करा पातीं और वे कुछ वक्त निकालकर शाम के समय ही पहुंच पा रही हैं। कुछ लोगों को यहां यह भी कहना है कि प्रदर्शन स्थल पर अब लोग थकने लगे हैं, जिसकी वजह से जितने भी पुराने लोग यहां आकर विरोध प्रदर्शन करते थे, वे सभी अब नजर नहीं आते।

जाहिर-सी बात है कि शाहीन बाग के अंदर कई गुट बन गए हैं, जिनके बीच प्रदर्शन की अगुवाई को लेकर विवाद है। लोगों में यह होड़ है कि इस प्रदर्शन की अगुवाई कौन करेगा। कई बार यह भी देखा गया है कि यहां महिलाओं व पुरुषों के विचार नहीं मिलते, जिसकी वजह से भी आपसी मतभेद देखने को मिलता है।

हटाने की कोशिशें
सुप्रीम कोर्ट में भी सड़क खुलवाने के लिए अर्जियां दाखिल हुईं। सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से कहा था कि प्रदर्शन करने का हक सबको है, लेकिन इस तरह हर कोई सड़क घेरकर नहीं बैठ सकता। कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए मध्यस्थों की एक टीम बनाई। इन मध्यस्थों ने कई बार शाहीन बाग जाकर वहां लोगों से बात की और कहा कि सड़क खोल दें व अपने प्रदर्शन के लिए कोई और जगह चुन लें। लेकिन सीएए के विरोध में बैठे इन प्रदर्शनकारियों ने मध्यस्थों की एक ना सुनी और सड़क को नहीं खोला गया। कुछ देर के लिए दूसरी तरफ की सड़क को जरूर खोला गया था, लेकिन कुछ समय बाद ही प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने ही दोबारा सड़क बंद कर दी।

इसके अलावा कई बार दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने भी शाहीन बाग जाकर लोगों से वहां से हटने की अपील की है। लेकिन 84 दिन बाद भी शाहीन बाग में स्थिति जस की तस बनी हुई है। ना तो सड़क खुली है और ना ही धरनास्थल कहीं और शिफ्ट किया गया है।

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