अब पार्षद चुनेंगे महापौर और नगर पालिका-नगर परिषद अध्यक्ष!

भोपाल

नगरीय निकाय चुनाव में इस बार कांग्रेस सरकार बड़ा बदलाव करने की चर्चा इस समय राजनैतिक गलियारों में जोर पकड़ती दिख रही है। इसके पीछे की वजह ज्यादा से ज्यादा नगरीय निकायों में कांग्रेस के कब्जा करने की मंशा को बताया जाता है। इसके तहत कमलनाथ मंत्रिमंडल की उप समिति ने नगर पालिक निगम और नगर पालिका अधिनियम में कुछ संशोधन भी सुझाए हैं।

इसके तहत सबसे बड़ा बदलाव महापौर और नगर पालिका-नगर परिषद के अध्यक्ष को चुनने में होगा। इन दोनों को अब तक जनता सीधे चुन रही थी, लेकिन समिति का सुझाव है कि महापौर और अध्यक्ष पद का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से कराया जाए।

इस संबंध में कांग्रेस के संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर ने कहा है कि हमने सरकार को इस मामले में प्रस्ताव दिया था कि अब पार्षद ही महापौर और नगर पालिका-नगर परिषद अध्यक्ष का चयन करें।

कांग्रेस के संगठन प्रभारी के अनुसार मुख्य कारण ये है कि सभी जगहें का पूर्ण विकास हो, क्योंकि जब महापौर आदि विधायक बन जाते हैं तो वे केवल अपने क्षेत्र का ही विकास करते हैं। जबकि अन्य क्षेत्र विकास की दौड़ में ऐसा करने से पिछड़ जाते हैं।

सूत्रों के अनुसार इसके अलावा दो बड़े बदलावों पर भी सहमति बन गई है। जिन्हें राज्य सरकार अध्यादेश लाकर लागू करेगी। समिति द्वारा मंशा मुख्यमंत्री कमलनाथ को बता दिए जाने के बाद अब आखिरी फैसला मुख्यमंत्री करेंगे।

वहीं इस संबंध में मंत्रीमंडल उपसमिति के अध्यक्ष सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि अधिनियम में संशोधन के लिए बनी कमेटी महापौर का चुनाव सीधे कराने समेत कई बातों पर विचार कर रही है। इस मामले में जल्द ही अंतिम निर्णय लेकर संशोधन कर दिया जाएगा।

जबकि मंत्रीमंडल उपसमिति के सदस्य प्रियव्रत सिंह के अनुसार महापौर का चुनाव पार्षदों के जरिए होने से आपस में कनेक्ट बना रहेगा। वर्ना अभी महापौर अलग चुनाव लड़ता है और पार्षद अलग। ऐसे में दोनों का आपस में कनेक्ट नहीं रहता है जिससे शहर का विकास प्रभावित होता है। इसके अलावा चुनाव पार्टी सिंबल के बजाय व्यक्ति आधारित होना चाहिए।

ये बताए जाते हैं कारण …
दरअसल मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव इस साल के अंत तक होने हैं। ऐसे में अभी 16 नगर निगम के महापौर समेत अधिकांश नगर पालिका और नगर परिषद पर भाजपा के अध्यक्ष हैं, लेकिन चर्चा है कि प्रदेश में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस इन निकायों पर अपना कब्जा चाहती है।

इसी मकसद से अधिनियम में संशोधन के लिए सीएम कमलनाथ ने मंत्रीमंडल की उप समिति का गठन किया है। अब समिति से मिले प्रस्तावों को कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा। इसके बाद अध्यादेश भी लाया जाएगा।

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