अप्रशिक्षित पर्वतारोही पहुंचे माउंट एवरेस्ट, मौतों से उभरे गंभीर सवाल, ‘नजारा जैसे चिड़ियाघर’

नई दिल्ली 
सड़क पर गाड़ियों का जाम अक्सर देखा और सुना जाता है पर इस साल दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत पर लोगों की तादाद बढ़ने से ऐसे हालात पैदा हो गए। अमेरिका के ऐरिजोना प्रांत के रहने वाले डॉक्टर ऐड डोरिंग जीवन में एक बार माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचने का सपना देख रहे थे। इस साल उनकी यह इच्छा पूरी भी हुई पर वहां उन्होंने जो देखा वह डरावना होने के साथ ही जानलेवा भी साबित हुआ। न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में माउंट एवरेस्ट पर जाम की स्थिति को लेकर विस्तार से रिपोर्ट प्रकाशित की है।  

डोरिंग ने NYT को बताया कि चोटी के आसपास पर्वतारोही सेल्फी लेने में व्यस्त थे। दो टेबल टेनिस वाली जगह में 15 से 20 लोगों की भीड़ जमा थी। पीक तक पहुंचने के लिए उन्हें लाइन में घंटों इंतजार करना पड़ा। बर्फीले इलाके में एक के पीछे एक लोग हजारों फुट की ऊंचाई पर यूं ही खड़े रहने को मजबूर थे। 

उन्होंने बताया कि उन्हें एक महिला के शव के ऊपर से आगे बढ़ना पड़ा, जिसकी मौत कुछ देर पहले हो गई थी। नेपाल की राजधानी काठमांडू से टेलिफोन पर बातचीत में उन्होंने कहा, 'यह काफी भयानक था। नजारा किसी चिड़ियाघर की तरह था।' फिलहाल वह नेपाल में एक होटल रूम में आराम कर रहे हैं। 

आपको बता दें कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के हिसाब से यह साल सबसे घातक सीजन में से एक रहा है। अबतक 10 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर है। बताया जा रहा है कि इसे कुछ हद तक टाला जा सकता था। इस बार समस्या हिमस्खलन, तेज हवा या बर्फीले तूफान से नहीं थी। दिग्गज पर्वतारोही और इंडस्ट्री लीडर्स इसके लिए पर्वत पर भारी संख्या में लोगों की मौजूदगी को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि लोगों की भीड़ के साथ-साथ अनुभवहीन पर्वतारोहियों की संख्या भी ज्यादा थी, जिस कारण मौतें हुईं। 

कुछ अनुभवी पर्वतारोहियों का कहना है कि कुछ ऐडवेंचर कंपनियां अप्रशिक्षित पर्वतारोहियों को भेज रहीं हैं, जो माउंटेन पर हर किसी के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। इतना ही नहीं, नेपाल की सरकार का ध्यान भी हर पर्वतारोही से डॉलर कमाने पर है और यही वजह है वह एवरेस्ट फतह के लिए ज्यादा संख्या में परमिट जारी कर रही है। 

नेपाल एशिया के सबसे गरीब देशों में से एक है और एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान नियमों के उल्लंघन, कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार का लंबा इतिहास रहा है। इसी का परिणाम है कि 29,000 फीट की ऊंचाई पर अनियंत्रित भीड़ जमा हो गई। इस ऊंचाई पर हालात कितने खतरनाक हो सकते हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केवल एक या दो घंटे की देरी के कारण मौत हो सकती है। 

पर्वतारोही बताते हैं कि उन्हें ऑक्सिजन के कनस्तर लेकर जाना होता है पर इसके साथ समयसीमा का फैक्टर भी महत्वपूर्ण होता है। कुछ शेरपा और पर्वतारोहियों के मुताबिक इस साल कुछ मौतें इस कारण हो गईं क्योंकि आखिरी के 1,000 फीट पर उन्हें लंबे समय तक लाइन में खड़ा होना पड़ा। इस कारण वे जल्दी से वापस नहीं आ सके और उनकी ऑक्सिजन की आपूर्ति भी खत्म हो गई। कुछ लोग ऐसे भी माउंटेन पर पहुंच गए थे, जो इसके लिए फिट नहीं थे। 

शेरपाओं का कहना है कि कुछ पर्वतारोहियों को चढ़ाई के बारे में बेसिक जानकारी भी नहीं थी। दिग्गज पर्वतारोहियों का साफ कहना है कि कौन लोग एवरेस्ट की चढ़ाई करें, इसको लेकर नेपाल में कोई कड़ा कानून नहीं है और इसी कारण यह त्रासदी हुई। इससे पहले 2015 में हिमस्खलन के कारण एवरेस्ट पर 10 लोगों की मौत हो गई थी। 

एक जानेमाने एवरेस्ट पर्वतारोही ऐलन अरनीट कहते हैं, 'आयरनमैन के लिए आपको क्वालिफाई होना पड़ेगा। न्यू यॉर्क मैराथन दौड़ने के लिए आपको क्वालिफाई करना होगा लेकिन दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई करने के लिए आपको किसी अर्हता की जरूरत नहीं है।' 

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