अपराधियों के जमानतदारों पर होगी पुलिस की नजर

पटना 
अपराधियों के जमानतदार की छानबीन होगी। यदि मामला गड़बड़ हुआ तो जमानतदार पर कानूनी कार्रवाई होगी। यहां तक की जेल भी जाना पड़ सकता है। बड़े आपराधिक वारदातों के अभियुक्त के जमानतदार कौन है इसकी तहकीकात का जिम्मा क्राइम ब्रांच (सीबी) टीम को सौंपा गया है। जमानत देनेवाला शाख्स अभियुक्त का रिश्तेदार, दोस्त या कोई अनजान व्यक्ति है, यह जानने के साथ उन कागजातों की छानबीन की जाएगी तो जमानत के एवज में जमा किया गया है।

गंभीर मामलों में जमानतारों का होगा सत्यापन
गंभीर आपराधिक मामलों में जेल से जमानत पानेवाले अपराधियों के जमानतदार की छानबीन के निर्देश दिए गए हैं। यह काम सीआईडी की जिलों में तैनात सीबी टीम को सौंपा गया है। सीबी टीम में इंस्पेक्टर से लेकर एएसआई और जवान भी होते हैं। जमानतदार कौन है, कोर्ट में जमा किए गए नाम-पते के दस्तावेज से इस बात की छानबीन होगी कि वह अभियुक्त का है या नहीं। यदि रिश्तेदार नहीं है तो फिर दोस्त तो नहीं। उसने जो नाम-पता दिया है वह सही है या नहीं। इसके अलावा जमानत के एवज में जमा की जानेवाले संपत्ति के कागजात की भी जांच-पड़ताल की जाएगी कि जमानतदार ने संपत्ति के जो कागजात दिए हैं वह उसी के नाम पर है या नहीं। कहीं फर्जी कागजात तो नहीं तैयार किया गया।

गड़बड़ हुआ मामला तो होगा मुकदमा
जमानतदार यदि फर्जी है तो अभियुक्त के खिलाफ कार्रवाई होगी। वहीं जमानत में कागजात का फर्जीवाड़ा पाया जाता है तो संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई होगी। जानकारों के मुताबिक जमानतदारों पर धोखधड़ी के साथ आपराधिक साजिश रचने के अलावा आईपीसी की धारा 216 के तहत अपराधी को संरक्षण देने का केस दर्ज हो सकता है।  

अपराधियों पर नकेल कसना मकसद
पुलिस के एक आला अधिकारी के मुताबिक जमानतदारों का सत्यापन पेशेवर अपराधियों पर लगाम लगाने की नीयत से किया जा रहा है। जमानतदार सही है या नहीं इसकी छानबीन के साथ जमानत के लिए दिए गए प्रतिभूति (सियूरिटी) के कागजात का सत्यापन भी किया जाएगा। इससे अपराधियों को गैर कानूनी तौर पर मदद करने वालों का पता चलेगा और उनपर कानूनी शिंकजा कसने में मदद मिलेगी।

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