अपने ही गृह नगर में मोदी सरकार-2.0 के विज्ञापन से सिंधिया की तस्वीरें नदारद

ग्वालियर
ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही लाव लश्कर के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हों, लेकिन पुराने भाजपाई अभी भी उन्हें अपनाने के लिए तैयार नहीं है. इसका नजारा ग्वालियर में देखने मिला जहां मोदी सरकार-2.0 का एक साल पूरा होने के विज्ञापन से सिंधिया की तस्वीरें नदारद हैं. हालांकि, उनके समर्थकों का इस पर अपना तर्क है. वहीं, कांग्रेस का आईटी सेल इसे जमकर वायरल कर रहा है. वह लिख रहा है, बीजेपी ने सिंधिया को पहले देश से प्रदेश का नेता बना दिया और अब उनके ही गृह नगर में उनकी तस्वीर तक गायब कर दी है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 मंत्री, विधायकों के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं. इन्हीं की वजह से प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरी और शिवराज फिर सत्ता में लौटे. आलाकमान के फैसले पर सिंधिया को बीजेपी में एंट्री तो मिल गयी, लेकिन लोकल पुराने भाजपाई सिंधिया को अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं. यही वजह है कि मोदी सरकार 2 के 1 साल कार्यकाल पूरा होने पर जारी हुए विज्ञापन में सिंधिया को जगह नहीं दी गयी.

विज्ञापन में सिंधिया की तस्वीर नहीं है, जबकि इसमें शिवराज, प्रदेश अध्यक्ष, सांसद और जिला अध्यक्ष तक की तस्वीर है. सिंधिया समर्थकों को ये अखर तो रहा है पर नया-नया मामला होने पर वो खुल कर अपनी नाराज़गी नहीं जता पा रहे हैं. मंत्री बनने की चाहत लिए सिंधिया समर्थक विधायक मुन्ना लाल गोयल ने कहा कि नए मिलन में ऐसी बातें होती हैं, सिंधिया जी BJP परिवार में है आगे सब ठीक होगा.

इस विज्ञापन को कांग्रेस ने भुनाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस नेताओं ने पहले तो खुद ट्विटर और फेसबुक पर ये विज्ञापन शेयर किया. उसके बाद अपनी आईटी सेल को बाकी सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर वायरल करने के लिए लगा दिया. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता स्वदेश शर्मा का कहना है जो इज्जत सिंधिया को कांग्रेस में मिलती थी वो भाजपा में नहीं है, बल्कि सिंधिया को प्रदेश तक में बीजेपी के 14-15 वें नेता के तौर पर जगह मिली है.

BJP के इन विज्ञापनों को लेकर सियासी बवाल मच गया.सिंधिया समर्थक बैकफुट पर आ गए. वहीं कांग्रेस ने इसे BJP में सिंधिया और नरेंद्र तोमर गुट की लड़ाई बताया है.BJP इस विज्ञापन को लेकर पल्ला झाड़ रही है. प्रवक्ता आशीष अग्रवाल के मुताबिक सिंधिया BJP के सम्मानित नेता हैं. इन विज्ञापनों का पार्टी से कोई लेना देना नहीं है. ये व्यक्तिगत छपवाए गए हैं.

बहरहाल ग्वालियर बीजेपी की तरफ से जो विज्ञापन स्थानीय अखबारों में जारी किए गए हैं, उस पर भले ही दबी जुबान में सिंधिया समर्थक विरोध कर रहे हों लेकिन चंबल में अभी बीजेपी की सत्ता की चाभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ में ही है. चंबल की 16 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. ये वो सीटें हैं, जिस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस के समय से एकछत्र राज चलता आ रहा है. ऐसे में कहीं बीजेपी की ये गलती कहीं उस पर भारी न पड़ जाएं.

 

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