अड़ियल कहलाने पर कोई गुरेज नहीं: विनेश

नयी दिल्ली
भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने खुद को जिद्दी बताते हुए कहा कि अगर इससे मैट पर सफलता मिलती है तो फिर खुद को अड़ियल कहे जाने पर उन्हें कोई शिकायत नहीं है। एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला पहलवान विनेश ने पीटीआई से विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘ मैं बचपन से ही काफी जिद्दी हूं। अगर कोई गलत बात भी मुझे सही लगती है तो मैं उसे सही साबित करने की जिद्द पर अड़ जाती हूं और यह सुनिश्चित करना चाहती हूं कि लोग मुझ से सहमत हों। उन्होंने हालांकि कहा, ‘‘अगर कोई प्यार से मुझे समझाता है और यह साबित कर देता है कि मेरे सोचने का तरीका गलत है, तब मैं हार मान जाती हूं और जिद्द छोड़ देती हूं।’’ जब उनसे अडियल होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘ हां लोग कहते है कि मैं अड़ियल हूं लेकिन मुझे पता है मैं कैसी हूं। अगर इससे मैट पर मुझे मदद मिलती है तो फिर मैं ज्यादा चिंता नहीं करती हूं।’’    

राष्ट्रमंडल खेलों की 24 साल की इस चैम्पियन ने कहा, ‘‘इससे मुझे मैट पर मदद मिलती है। लोग कहते है कि यह अति-आत्मविश्वास है लेकिन मेरे लिये यह विश्वास है। मैं इन बातों से प्रभावित नहीं होती हूं और विरोधी खिलाड़ी भी आपके शारीरिक हाव-भाव को जान जाता है। कई लोगों को ऐसा कौशल पाने के लिए काम करना होता है लेकिन मुझे भगवान ने यह पहले से ही दिया है।’’ हाल ही में शादी करने वाली विनेश इस बात को गलत साबित करना चाहती है कि शादी के बाद महिलाओं का करियर प्रभावित होता है। उन्होंने कहा, ‘‘ लोग कहते है शादी के बाद हम (महिलाएं) दमखम खो देते हैं लेकिन मैं ऐसी सोच को गलत साबित करना चाहती हूं। मैं लड़कियों के मन से शादी के बंधन के डर को हटाना चाहती हूं। मैं उदाहरण बनाना चाहती हू, इसलिए मैंने जल्दी शादी करने का फैसला किया।’’    उन्होंने करियर को आगे बढ़ने में पति सोमवीर के साथ की तारीफ करते हुए कहा, ‘‘ जाहिर हैं आपको अपने सहयोगी का साथ चाहिए होगा। 

हमारे समाज में ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं जो कहेंगे कि अगर प्यार करते हो तो शादी क्यों नहीं कर ले रहे। दूसरे तरह के लोग भी है जो जल्दी शादी करने पर सवाल उठाते हैं। अब ओलंपिक सबसे बड़ी प्रतियोगिता है और सोमवीर मेरा पूरा समर्थन कर रहा है। विनेश पहली भारतीय एथलीट है जिनका नामांकन लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड के लिये किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय पहलवानों की सोच में बदलाव आया है और उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है भारत के पास 4-5 मजबूत दावेदार है जो दुनिया के किसी पहलवान को हरा सकते हैं। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती लेकिन हम दो-तीन ओलंपिक पदक जीत सकते है। सोच में बदलाव आया है।’

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