अगर किसी पार्टी को नहीं मिला बहुमत तो बन सकते हैं ये 4 समीकरण

रांची                                                                                              
झारखंड विधानसभा की सभी 81 सीटों के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतगणना सोमवार सुबह आठ बजे से शुरू हो गई। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। राज्य में 30 नवंबर से 20 दिसंबर तक पांच चरण में मतदान हुए थे। विभिन्न एजेंसियों ने अपने एग्जिट पोल में राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की है। 

झारखंड में संभावित जनादेश के कयासों के साथ ही भावी सरकार को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है। त्रिशंकु विधानसभा की आशंकाओं के मद्देनजर पांच दलों में भावी मुख्यमंत्री के अक्स को देखकर राजनीतिक कुंडली पर चर्चा हो रही है। जनता के मन में उमड़-घुमड़ रहे ऐसे तमाम सवालों पर बहस के साथ अजब-गजब के समीकरण भी उभर रहे हैं। समीकरणों की सियासत से उभरे जनादेश के जोड़तोड़ से सत्ता के द्वार खोलने की तैयारी चल रही है। आइए देखते हैं कि किसका जादू चलने पर कैसी बनेगी सरकार।
 
समीकरण-1
भाजपा सरकार गठन में आजसू से लेगी मदद
एक्जिट पोल के परिणामों पर अगर भरोसा करें तो भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने की स्थिति नहीं बन रही है। ऐसे में भाजपा को गठबंधन सरकार बनाने की दिशा में आगे बढ़ना होगा। फिर भाजपा के साथ सबसे नजदीकी सत्ता साझीदार रहे आजसू पर केसरिया पार्टी की नजर जाएगी। विधानसभा चुनाव में गठबंधन टूटने के बावजूद भाजपा ने चुनाव बाद की संभावनाओं के मद्देनजर ही आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो के खिलाफ सिल्ली से उम्मीदवार नहीं उतारा। आजसू ने भी रघुवर दास के खिलाफ उम्मीदवार नहीं दिया। चुनावी बिसात पर चले गए सियासी शालीनता के ऐसे मोहरे मतगणना के बाद भाजपा को सत्ता की सीढ़ी चढ़ाने में सहायक हो सकते हैं। भाजपा दूसरी संभावना सत्ता में साझीदार बनने के लिए झाविमो में टटोल सकती है। हालांकि, झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी अभी तक किसी भी हाल में भाजपा के साथ जाने से इनकार करते रहे हैं।

समीकरण-2
गठबंधन के साथ जा सकते हैं झाविमो-वामदल
झामुमो नेताओं का दावा है कि इस बार मोदी लहर भी नहीं है और जनता में भाजपा सरकार के खिलाफ आक्रोश भी है। चुनाव परिणाम में भी इसका रंग दिख सकता है। एग्जिट पोल के परिणाम भी अंशत: इसकी गवाही देते हैं। ऐसी स्थिति में झामुमो, कांग्रेस और राजद मिलकर सरकार बनाएंगे। इन तीनों के बीच चुनाव पूर्व से ही गठबंधन है। कांग्रेस ने चुनाव की घोषणा से पहले ही हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था। इस कारण पर्याप्त सीट मिल जाने के बाद चुनावी गठबंधन को सत्ताधारी गठबंधन बनने में भी मुश्किल नहीं आएगी। बहुमत से कम संख्या होने की स्थिति में महागठबंधन को झाविमो और वामदलों का साथ मिल सकता है।

समीकरण-3
गैर भाजपा-गैर झामुमो नेतृत्व में सरकार
भाजपा और झामुमो दोनों को ही कम सीटें मिलने पर गैर भाजपा और गैर झामुमो दलों के नेतृत्व में भी सरकार बन सकती है। भाजपा झामुमो और कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए ऐसा दांव खेल सकती है। झामुमो और कांग्रेस भी भाजपा को सरकार से बाहर रखने के लिए ऐसी कवायद कर सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस, आजसू, झाविमो और राजद के नेताओं की बांछें खिल सकती हैं। दूसरे दल इनकी सरकार को बाहर से समर्थन दे सकते हैं। ऐसे में भाजपा आजसू के अलावा झाविमो पर भी बाजी लगा सकती है। झामुमो भी कांग्रेस को नेतृत्व सौंप सकती है अथवा झाविमो या आजसू के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन दे सकता है।

समीकरण-4
…तो भाजपा-झामुमो भी आ सकते हैं साथ
भाजपा और झामुमो दोनों को 25 से कम सीटें आने और कांग्रेस, राजद को अपेक्षा से परे सीटें आने पर सत्ता के लिए गठबंधन का समीकरण मुश्किल होगा। जैसा कई एक्जिट पोल की न्यूनतम सीमा वाले परिणाम से परिलक्षित भी हो रहा है। ऐसे में राज्य को स्थिर सरकार देने के नाम पर भाजपा और झामुमो पास आ सकते हैं। हालांकि इसकी संभावना फिलहाल नहीं दिखाई दे रही है। इससे पहले भी दो बार इस तरह की सरकार बन चुकी है। 2009 में झामुमो-भाजपा की सरकार में शिबू सोरेन मुख्यमंत्री और रघुवर दास उप मुख्यमंत्री बने थे। बीच में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। फिर 2011 में भाजपा-झामुमो की सरकार बनी। उस सरकार में अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री और हेमंत सोरेन उपमुख्यमंत्री बने थे।

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