अखिलेश ने यूं ही नहीं किया अहीर रेजिमेंट का वादा, यादव वोटों पर है नजर

 लखनऊ
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को अपनी पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया। 'सामाजिक न्याय से महापरिवर्तन' के वादे के साथ जारी किए गए इस घोषणा पत्र में यूं तो उन्होंने कई वादे किए हैं, मगर जिस एक वादे ने सबसे ज्यादा चर्चा बटोरी है, वह है सेना में एक अलग अहीर रेजिमेंट और गुजरात इन्फैंट्री रेजिमेंट बनाने का वादा। दरअसल अखिलेश ने इस वादे के जरिए अपने कोर यादव वोट बैंक को साधने की कोशिश की है, जो लंबे समय से सेना में अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग कर रहा है। 
 
हालांकि गुजरात रेजिमेंट के उनके वादे को 10 मई 2017 को दिए उनके एक बयान से जोड़कर देखा जा रहा है। अखिलेश ने सवाल उठाया था कि शहीदों में कभी कोई गुजराती क्यों नहीं होता। उन्होंने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सवाल किया था, 'यूपी, मध्य प्रदेश, दक्षिण भारत हर जगह से शहीद हुए हैं, गुजरात से कोई जवान शहीद हुआ हो तो बताओ।' 

यादव महासभा ने की थी अहीर रेजिमेंट की मांग 
अहीर रेजिमेंट की मांग इससे पहले ऑल इंडिया यादव महासभा ने 2016 में उठाई थी। इसके बाद अक्टूबर 2016 में यादव जाति के सैकड़ों लोगों ने गुड़गांव के खेड़की दौला गांव में भूख हड़ताल की थी। हालांकि मध्य प्रदेश से बीजेपी सांसद लक्ष्मीनारायण यादव ने जब उनकी मांग को केंद्र सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया, तब इन्होंने अपनी हड़ताल खत्म की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना में जातिवार रेजिमेंट्स का गठन 1857 की क्रांति के बाद हुआ था। हालांकि आजादी के बाद सरकार ने जाति आधारित रेजिमेंट्स को ना जोड़ने का फैसला किया था। 1947 के बाद से अब तक इस नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। 

अमीरों पर लगाएंगे 2 फीसदी टैक्स 
अखिलेश ने अपने इस विजन डॉक्युमेंट में अमीरों पर 2 फीसदी टैक्स लगाने की भी बात की है। उन्होंने वादा किया है कि इस टैक्स से जुटाई गई रकम को गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च किया जाएगा। 
  
​कमजोर नहीं, यह है भारत के चुनाव आयोग की ताकत
चुनाव क्षेत्रों के परिसीमन से लेकर देश में चुनाव करवाने तक की जिम्मेदारी भारत के चुनाव आयोग की है। चुनाव आयोग ही राजनीतिक दलों को मान्यता देता है और उनको चुनाव चिह्न प्रदान करता है। मतदाता सूची भी भारत का चुनाव आयोग ही तैयार करवाता है। इसके अलावा राजनीतिक दलों के लिए आचार संहित तैयार करना और उसको लागू करवाना भी चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए भारत के चुनाव आयोग के पास काफी ताकत हैं। आइए आज हम चुनाव आयोग की उन ताकतों को जानते हैं…
 

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