अंतर्राष्ट्रीय कछुआ तस्कर मुरुगेसन की ज़मानत याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज, सागर में है क़ैद

सागर 
सुप्रीम कोर्ट ने अंतर्राष्ट्रीय कछुआ तस्कर मनीवन्न मुरूगेसन की ज़मानत याचिका खारिज कर दी है. मुरूगेसन को मध्यप्रदेश वन विभाग की एसटीएफ टीम ने 30 जनवरी 2018 को चेन्नई से गिरफ्तार किया था. उसके बाद उसे सागर के विशेष न्यायालय में पेश किया था. जबलपुर हाईकोर्ट ने मनीवन्न मुरूगेसन की ज़मानत याचिका खारिज कर दी थी, तब से वो सागर जेल में बंद है.

अंतर्राष्ट्रीय वन्य-प्राणि तस्करी नेटवर्क को ध्वस्त करने में मुरूगेसन की सजा काफी मायने रखती है. उसकी इंटरपोल, कई देशों की पुलिस, भारत के वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो और अन्य राज्यों की पुलिस को लंबे समय से तलाश थी. दुर्लभ प्रजाति के कछुओं की तस्करी में मुरूगेसन का नाम तीसरे नम्बर पर था.वो सिंगापुर का रहने वाला है और उसका तस्करी का धंधा सिंगापुर, थाईलैण्ड, मलेशिया, हॉगकांग, चीन, मेडागास्कर में फैला हुआ था. इंटरपोल ने जुलाई 2018 में मध्यप्रदेश वन विभाग की एसटीएफ से बाँग्ला देश के ढाका में थाईलैण्ड की अदालत का गिरफ्तारी वारंट और अन्य संवेदनशील दस्तावेज साझा किए थे़.

मध्यप्रदेश एसटीएफ से पहले मुरूगेसन को 27 अगस्त 2012 को भी करीब 900 दुर्लभ कछुओं के साथ बैंकाक एयर पोर्ट पर पकड़ा गया था. लेकिन उस वक्त वो छूटने में कामयाब हो गया था. मध्यप्रदेश एसटीएफ (वन्य-प्राणी) ने कछुआ तस्करी के इस अंतर्राष्ट्रीय रैकेट में 4 राज्यों से 13 आरोपियों को गिरफ्तार कर तस्करी में उपयोग लाई जा रही एक मर्सडीज कार जब्त की थी. आरोपियों से जो रेडक्राउन रूफ टर्टल्स ज़ब्त किए थे वो विश्व में केवल चंबल वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में ही होते हैं. ये धीरे-धीरे ख़त्म हो रहे हैं. मुश्किल से अब 500 कछुए ही बचे हैं.

अंतर्राष्ट्रीय कछुआ तस्कर मुरुगेसन ने उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल से भी दुर्लभ प्रजाति के कछुओं की तस्करी की थी. इन्टरपोल की मदद से अब मुरुगेसन के साथी आरोपियों को थाईलैण्ड, हांगकांग और मलेशिया से गिरफ्तार करने के प्रयास किए जा रहे हैं.

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