आंध्र प्रदेश का एक ऐसा मंदिर जिसमें भगवान गणेश की मूर्ति का आकार बढ़ता ही जा रहा है
आंध्र प्रदेश का एक ऐसा मंदिर जिसमें भगवान गणेश की मूर्ति का आकार बढ़ता ही जा रहा है
यह चमत्कारी गणेश मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तुर जिले में स्थित है। इस मंदिर को स्थानीय लोग पानी के देवता का मंदिर भी कहते है।ऐसा माना जाता है कि यहां गणपति की प्रतिमा का आकार धीरे-धीरे बढ़ रहा है।देश विदेश से श्रद्धालु इस मंदिर में भगवान श्री गणेश के दर्शन व् पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।
इस मंदिर के इतिहास के बार में बात करे तो यह मंदिर 11वी शताब्दी का बताया जाता है।
यह गणेश मंदिर काफी पुराना है।यह मंदिर चित्तूर की स्थानीय नदी के बीच में बना है।इस मंदिर गणेश जी को अर्पित जल को पवित्र माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस जल से कई तरह की बीमारियां ठीक हो जाती हैं।इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में चोल राजा के प्रथम वंशज ने करवाया था।फिर विजयनगर वंश के राजा ने 1336 में मंदिर को भव्य स्वरूप दिया यहां प्रति वर्ष गणेश चतुर्थी से ब्रह्मोत्सव शुरू होता है।यह उत्सव इस मंदिर में 20 दिनों तक मनाया जाता है।इस दौरान यहां पर बप्पा की पालकी और रथ यात्रा निकाली जाती है।प्राचीन समय इस मदिर के बनाने की लोगों के बीच एक प्राचीन कहानी लोक कथा काफ़ी प्रचलित है कि काफी वक्त पहले यह पर कुछ लोग खेती के लिए कुआं खोद रहे थे कुएं को और गहरा खोदने के लिए जैसे ही पत्थर को हटाया, वहां से खून की धारा निकलने लगी।जिससे कुआं पूरा भर गया।कहा जाता है कि तभी वहां गणेश जी की स्वयंभू प्रतिमा दिखाई दी।इसके बाद से यहां मंदिर बनाया गया।यह मंदिर तिरुपति से केवल 72 किमी पर है।इस मंदिर के तिरुपति से रेलवे से यात्रा कर के भी इस मंदिर तक पहुँचा जा सकता है। और इस मंदिर के लिए आप हवाई यात्रा से भी पहुँच सकते है। तिरुपति हवाईअड्डा है जहां से मंदिर की दूरी करीब 86 किमी है।