Sports Day: ध्यानचंद की वो 10 बातें, जिसने उन्हें जादूगर और सबसे बड़ा ‘खेल रत्न’ बनाया

नई दिल्ली
दुनिया में ऐसे कई खिलाड़ी हुए हैं, जिन्होंने अपने खेल में इतनी महारत हासिल की कि दुनिया ने उन्हें महान कहा. उनका नाम इतिहास के पन्नों पर हमेशा के लिए दर्ज हो गया. लेकिन सिर्फ ‘दद्दा’ यानी मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) ही ऐसे हैं, जिन्हें जादूगर कहा गया. ध्यानचंद देश के ऐसे पहले खिलाड़ी हैं, जिनके सामने सारी दुनिया ने सिर झुकाया. गेंद लेकर बिजली की तेजी से दौड़ने वाले ध्यानचंद (Dhyan Chand) की आज 115वीं जयंती हैं. ऐसा कहा जाता है कि जब वे मैदान पर उतरते थे तो मानों गेंद उनकी हॉकी स्टिक से चिपक जाती थी. उन्होंने अपने खेल से भारत को ओलंपिक में तीन गोल्ड मेडल दिलाए. यही कारण है कि उनके जन्मदिन को देश में खेल दिवस (National Sports Day) के रूप में मनाया जाता है. चांद की रोशनी में अभ्यास से लेकर जर्मन तानाशाह हिटलर के ऑफर तक ऐसी कई बातें हैं, जो इस खिलाड़ी की महानता की गवाही देते हैं.

ऐसी ही 10 बातें:
1. ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 में उत्तरप्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) में हुआ. इस दिग्गज ने 1928, 1932 और 1936 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया. भारत ने तीनों ही बार गोल्ड मेडल जीता.

2. महज 16 साल की उम्र में भारतीय सेना में भर्ती होने वाले ध्यानचंद का असली नाम ध्यान सिंह था. ध्यानचंद के छोटे भाई रूप सिंह भी अच्छे हॉकी खिलाड़ी थे जिन्होने ओलंपिक में कई गोल दागे थे.

3. सेना में काम करने के कारण उन्हें अभ्यास का मौका कम मिलता था. इस कारण वे चांद की रौशनी में प्रैक्टिस करने लगे.

4. ध्यान सिंह को चांद की रोशनी में प्रैक्टिस करता देख दोस्तों ने उनके नाम साथ ‘चांद’ जोड़ दिया, जो बाद में ‘चंद’ हो गया.

5. ध्यानचंद एम्सटर्डम में 1928 में हुए ओलंपिक में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी रहे थे. यहां उन्होंने कुल 14 गोल कर टीम को गोल्ड मेडल दिलवाया था. उनका खेल देख एक स्थानीय पत्रकार ने कहा था, जिस तरह से ध्यानचंद खेलते हैं वो जादू है. वे हॉकी के 'जादूगर हैं.

6. ध्यानचंद का खेल पर इतना नियंत्रण था कि गेंद उनकी स्टिक से लगभग चिपकी रहती थी. उनकी इस प्रतिभा पर नीदरलैंड्स को शक हुआ और ध्यानचंद की हॉकी स्टिक तोड़कर इस बात की तसल्ली की गई, कहीं वह चुंबक लगाकर तो नहीं खेलते हैं.

7. मेजर की टीम ने साल 1935 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का दौरा किया था. यहां उन्होंने 48 मैच खेले और 201 गोल किए. क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन भी उनके कायल हो गए. उन्होंने कहा, वो (ध्यानचंद) हॉकी में ऐसे गोल करते हैं, जैसे हम क्रिकेट में रन बनाते हैं.

8. भारत ने 1936 में बर्लिन ओलंपिक में जर्मनी को हराकर गोल्ड जीता. ध्यानचंद का खेल देख जर्मन तानाशाह हिटलर इतना प्रभावित हुआ कि उनको जर्मनी के लिए खेलने का ऑफर तक दे दिया.

9. वियना में ध्यानचंद की चार हाथ में चार हॉकी स्टिक लिए एक मूर्ति लगाई और दिखाया कि वे कितने जबर्दस्त खिलाड़ी थे.

10. बरसों से एक मांग उठती रही है कि ध्यानचंद को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए. उन्हें यह सम्मान मिले या नहीं, लेकिन इतना तय है कि वे देश के सबसे बड़े खेल रत्न या हॉकी खिलाडी हैं.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *