SC ने कहा, एयर इंडिया करे 7.64 करोड़ का भुगतान

नई दिल्ली
ठीक 10 साल पहले प्लेन क्रैश में हुई मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एयर इंडिया को निर्देश दिया है कि वह मृतक की पत्नी को 7 करोड़ 65 लाख रुपये मुआवजे का भुगतान करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक्सिडेंट क्लेम मामले में पीड़ित की कुल आमदनी के आंकलन के आधार पर मुआवजा तय होता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि एक्सिडेंट क्लेम मामले में जब पीड़ित के इनकम का आंकलन हो तो पूरी आमदनी का आंकलन होना चाहिए। उसे जो भी वेतन भत्ता मिलता है, उसे जोड़कर ही मुआवजा तय किया जाएगा। उसकी आमदनी में से भत्ता नहीं हटाया जा सकता है।

क्या है मामला
दरअसल, मृतक एक बड़े संस्थान में रीजनल डायरेक्टर था। वह दुबई से मेंगलूर आ रहा था। एयरइंडिया का फ्लाइट मेंगलूर एयरपोर्ट पर 22 मई, 2010 को क्रैश कर गया और इस घटना में उसकी मौत हो गई। मृतक की पत्नी ने एयरइंडिया से मुआवजा मांगा। एयर इंडिया ने मृतक की पत्नी को 4 करोड़ रुपये मुआवजा दिया। साथ ही 40 लाख पैरेंट्स को दिए। मृतक की पत्नी ने नैशनल कंज्यूमर फोरम का दरवाजा खटखटाया और 13 करोड़ 42 लाख रुपये मुआवजे की मांग की। कंज्यूमर फोरम ने मुआवजे की रकम बढ़ा दी, लेकिन इससे संतुष्ट नहीं होने पर मामला सुप्रीम कोर्ट आया।

सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया कि नैशनल कंज्यूमर फोरम ने मुआवजा तय करते हुए जो इनकम का आंकलन किया उसमें भत्ता को घटा दिया। जो नहीं घटाया जाना चाहिए था। वहीं, एयरइंडिया की ओर से दलील दी गई कि ट्रांसपोर्ट एलाउएंस को घटाया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक्सिडेंट क्लेम मामले में कुल आमदनी के आधार पर मुआवजा तय होगा। सैलरी का अलग-अलग विभाजन एंप्लायर कई कारणों से करते हैं, लेकिन जब एक्सिडेंट क्लेम का मामला बनता है तो मुआवजे के लिए इनकम का आंकलन होता है और उसमें से कोई भी भत्ता नहीं घटाया जा सकता है बल्कि पूरी सैलरी पर मुआवजा तय होता है।

ऐसे में नैशनल कंज्यूमर फोरम ने जो भत्ता घटा दिया था वह नहीं घटाया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दिए फैसले में कहा कि मृतक की पत्नी को 7 करोड़ 64 लाख रुपये का भुगतान किया जाए। घटना वाले दिन से भुगतान तक की तारीख का इस रकम का 9 फीसदी ब्याज भी भुगतान किया जाए।

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