MP हाईकोर्ट ने दी अशोक सिंह को राहत, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मामले की सुनवाई

जबलपुर
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपैक्स बैंक के प्रशासक पद से हटाये गये अशोक सिंह को राहत प्रदान की है. अंतरिम आदेश के तहत प्रशासक पद पर नियुक्ति को विचाराधीन याचिका के अंमित निर्णय के अधीन कर दिया गया है. साथ ही राज्य शासन सहित अन्य को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए गए हैं.

न्यायमूर्ति सुजय पॉल की कोरोना आपदाकालीन एकलपीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान याचिकाकर्ता अशोक सिंह का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ व अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा ने रखा. राज्य की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव व शासकीय अधिवक्ता राजेश्वर राव ने पक्ष रखा. केवियेटर की ओर से अधिवक्ता बीडी सिंह व एसएम गुरु अपीयर हुये.

बहस के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने दलील देते हुये हाईकोर्ट को अवगत कराया कि याचिकाकर्ता की अपैक्स बैंक, भोपाल के प्रशासक पद पर नियुक्ति जुलाई 2019 में हुई थी. आगे चलकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया. लेकिन जैसे ही कमलनाथ सरकार अल्पमत में आई और नई सरकार अस्तित्व में आई तो मनमाना निर्णय लेते हुए 25 मार्च 2020 को याचिकाकर्ता को हटा दिया गया. इस कदम के पीछे ठोस कारण रेखांकित नहीं किया गया. इससे साफ है कि कार्रवाई राजनीतिक दुर्भावनावश की गई.

बता दें कि पिछले साल जुलाई महीने में अशोक सिंह अपैक्स बैंक का चेयरमैन मनोनीत किया गया था. कमलनाथ सरकार में यह पहली राजनीतिक नियुक्ति थी. अशोक सिंह को दिग्विजय सिंह समर्थक नेता माना जाता है. अशोक सिंह ग्वालियर के मूल निवासी हैं. वे कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह के पुत्र हैं.

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