MP में कमिश्नर प्रणाली लागू करने IPS एसोसिएशन ने सीएम से की मुलाकात
भोपाल
मध्य प्रदेश के बड़े शहरों में लंबे समय से कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने की मांग चल रही है। हाल ही में ऐसे कयास भी लगाए गए थे कि कमलनाथ सरकार इस बात का ऐलान भी कर सकती है। लेकिन प्रदेश में आईपीएस अफसरों की कमी होने के चलते यह फैसला टल गया। मंगलवार को एक बार फिर मप्र आईपीएस एसोसिएशन ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मांग मुख्यमंत्री से की है।
एसोसिएशन के एक दल ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात कर भोपाल और इंदौर में कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मांग की है। सीएम कमलनाथ ने एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय यादव को आश्वासन दिया है कि वह इस बारे में जल्द ही फैसला लेंगे। इसके अलावा एसोसिएशन ने पदोन्नति और एटीएस, हॉक फोर्स को स्पेशल अलाउंस मूल वेतन पर देने की मांग भी की है।
गौरतलब है कि इससे पहले स्वतंत्रता दिवस पर सीएम द्वारा कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने की घोषणा की अकटलें सामने आईं थी। तब राजस्व संघ ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया था।संघ का कहना था कि प्रदेश में कानून व्यव्सथा को देखते हुए ऐसी कोई घोषणा न की जाए। क्योंकि अगर प्रदेश में इसे लागू किया जाता है तो राजस्व अधिकारियों जिन्हें कार्यपालिका दंडाधिकारियों की शक्तियां प्राप्त हैं उनके साथ अन्याय होगा। साथ ही प्रदेश में असमानता की स्थिति निर्मित होगी। यह प्रणाली लागू होने से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के पास ही दंडाधिकारियों की शक्तियां आ जाएंगी, जिससे अपराधों पर नियंत्रण लगाने तथा अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में पुलिस प्रशासन को मदद मिलेगी।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा (8) की उपधारा 1 के तहत राज्य शासन किसी भी क्षेत्र को पुलिस कमिश्नर प्रणाली प्रयोजन के लिए मेट्रोपोलिटिन क्षेत्र घोषित कर सकता है। पुलिस एक्ट 1861 की धारा (2) के तहत ऐसे मेट्रोपोलिटिन क्षेत्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को पुलिस कमिश्नर घोषित किया जा सकता है। ये अधिकारी आइजी स्तर के होंगे। पुलिस कमिश्नर को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा (20) की उपधारा (5) के तहत कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के अधिकार दिए जा सकते हैं।
भोपाल-इंदौर में पुलिस कमिश्नर का मुख्यालय अलग-अलग होगा। यह शहर दो जोन में बंटेंगे। पुलिस कमिश्नर के पास एक-एक डिप्टी कमिश्नर और तीन-तीन उपायुक्त रहेंगे। इनके अधीन पुलिस थाने, महिला थाने, सीआइडी, यातायात जैसी विंग होगी। जोन को थानों के हिसाब से सर्कल में बांटा जाएगा।