CM कमलनाथ ने माना सरकारी सिस्टम बेहोश,होश में लाना सरकार के लिए चुनौती

भोपाल
मुख्यमंत्री कमलनाथ (cm kamalnath) ने माना है कि मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में उद्योग (Industry) लगाना आसान नही है. नौकरशाही (Bureaucracy) और सरकारी नियम (government Rules )इतने जटिल हैं कि इनकी आड़ में अफसर (officer) उद्योगों के लिए ना कह देते हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ का मानना है, बेहोश सरकारी सिस्टम को होश में लाने के लिए उद्योगपतियों (Industrialists) के साथ एक आलोचना सेशन होना चाहिए.

सीएम कमलनाथ भी मानते हैं कि सरकारी सिस्टम जटिल हो गया है. यही वजह है कि प्रदेश में निवेश और उद्योग आसान नहीं है. हाल ही में इंदौर में हुए Magnificent MP में आए देश के दिग्गज उद्योगपतियों सरकारी सिस्टम में अड़ंगेबाज़ी की शिकायत की थी. नौकरशाही की अड़ंगेबाज़ी और नियम-कानून की जटिलता के कारण उद्योग औऱ निवेश में दिलचस्पी रखने के बावजूद उद्योगपति अपने हाथ खींच लेते हैं.

सरकारी सिस्टम को लेकर मिली शिकायतों के बाद सीएम कमलनाथ ये महसूस कर रहे हैं कि एक आलोचना सेशन बुलाना ज़रूरी है. भोपाल में हुए कॉम्पेस्ट बिज़नेस डेवलपमेंट मीट में मुख्यमंत्री ने उद्योगपतियों की समस्याओं के समाधान के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी के गठन का भी एलान किय़ा.

मुख्य़मंत्री ने उद्योगपतियों की शिकायतों पर कहा कि सरकारी सिस्टम में ना कहने का बहाना और तरीका तलाशा जाता है. इसलिए अफसरों को हां कहने की ट्रेनिंग देने की ज़रूरत है. उन्होंने माना कि व्यवस्था में बदलाव करना सरकार के लिए चुनौती है.लेकिन सरकार उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए अब अलग अलग सेशन के जरिए व्यवस्था को बदलने की कोशिश में जुटी है. मुख्यमंत्री ने कहा, उद्योगपतियों से मुलाकात के दौरान सरकारी सिस्टम और ज़रूरी अनुमतियों को लेकर उन्हें कई शिकायतें मिलीं. कई मामलों में वो निर्देश जारी कर चुके हैं. पचास साल पुरानी व्यवस्थाओं को बदलने की ज़रूरत है.

इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उद्योगपतियों की समस्याओं के समाधान के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति बनाने का सुझाव मुख्यमंत्री कमलनाथ को दिय़ा था. सीएम ने इस पर अमल भी कर दिया. उन्होंने मुख्य सचिव के नेतृत्व में समिति का गठन करने का एलान किया.उद्योगपतियों के साथ होने वाली समिति की पहली बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ भी शामिल होंगे.

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा विकास और रोजगार के लिए परकेपिटा इनकम और जीडीपी ग्रोथ रेट से ज़्यादा ज़रूरी है लोगों के पास डिस्पोजेबल इनकम हो.उन्होंने कहा मनरेगा और ग्रामीण सड़क योजना का मूल उद्देश्य था कि गांवों में पैसा पहुंचे और लोगों की क्रय शक्ति बढ़े. इससे ही हम आर्थिक विकास कर पाएंगे. उन्होंने कृषि क्षेत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि हमने विभिन्न संसाधनों के ज़रिए उत्पादन तो बढ़ा दिया लेकिन बढ़े हुए उत्पादन का उपयोग कैसे होगा, उससे किसानों को कैसे फायदा पहुंचेगा, इस पर हमने ध्यान नहीं दिया. इसलिए किसानों को उसका फायदा नहीं पहुंचा और हमारी अर्थ व्यवस्था कमज़ोर हुई.

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