BJP में प्लान ए और बी से हटकर भी हो रहा काम 

नई दिल्ली                                                                                                        
महाराष्ट्र में भाजपा-एनसीपी की नई सरकार बनने और सोमवार को विपक्ष के शक्ति प्रदर्शन ने बहुमत के आंकड़े को उलझा दिया है। एनसीपी का घर भेद कर सरकार बनाने वाली भाजपा को उम्मीद है कि सदन में भी उसे एनसीपी का साथ मिलेगा, भले ही वह पूरा न हो। अब भी उसके रणनीतिकार शिवसेना और कांग्रेस में भी सेंध के दावे कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा के प्लान-ए व प्लान-बी दोनों तैयार हैं। समय व परिस्थिति के अनुसार, इनमें भी बदलाव हो सकता है। राजभवन से उच्चतम न्यायालय तक पहुंचे सरकार व बहुमत के सवाल को सुलझने में अभी भले ही कुछ समय लगे, लेकिन पर्दे के पीछे कवायद तेज है। 

भाजपा विरोधी खेमे के प्रमुख रणनीतिकार शरद पवार का घर ही सबसे कमजोर निकला, जिसमें उनके भतीजे अजीत पवार सभी विधायकों की चिठ्ठी के साथ उप मुख्यमंत्री भी बन गए है। शरद पवार के लिए अजीत पवार न उगलते बन रहा है न निगलते।  

एनसीपी के रुख पर नजर
भाजपा सूत्रों के अनुसार, प्लान-ए में एनसीपी शामिल है। पार्टी के एक प्रमुख नेता का दावा है कि सदन में एनसीपी का बड़ा धड़ा सरकार के साथ होगा। अभी भी एनसीपी सरकार में शामिल है और उसी का उपमुख्यमंत्री है। एनसीपी ने न तो सरकार से समर्थन वापस लिया है और न ही अजीत पवार को निलंबित या निष्कासित किया है। पार्टी के प्लान- बी में शिवसेना व कांग्रेस शामिल है। हालांकि यह प्लान उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद बदल भी सकते हैं। हालात विपरीत होने पर विपक्षी खेमे के कुछ विधायक अपनी सदस्यता भी दांव पर लगा सकते हैं। 

भाजपा की भी अपनों पर निगाह
विपक्षी खेमे में तोड़-फोड़ के बीच भारतीय जनता पार्टी अपने विधायकों पर भी नजर रखे हुए है। हालांकि सरकार बन जाने के बाद उसमें सेंध की गुंजाइश नहीं है। इन हालात में सबसे ज्यादा डर शिवसेना और कांग्रेस को है।  राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार का कद और प्रतिष्ठा के भरोसे ही इन दोनों दलों की उम्मीदें हैं। साथ ही वे अपने-अपने विधायकों को लेकर भी सशंकित हैं। बीते एक माह में कितने विधायक भाजपा के संपर्क में आए होंगे, इसका अंदाजा उनको भी नहीं है।   

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