छत्तीसगढ़ को 3 साल में कुषोपण व एनीमिया मुक्त बनाने का लक्ष्य, भूपेश सरकार देगी पौष्टिक भोजन
रायपुर
छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार आगामी 2 अक्टूबर से कुपोषण मुक्ति अभियान की शुरुआत करने जा रही है. इसके तहत राज्य के कुपोषित बच्चों और एनीमिया से पीड़ित महिलाओं को गर्म भोजन दिया जाएगा. बता दें कि 2 अक्टूबर से प्रदेश के सभी महत्वाकांक्षी जिलों में इसकी शुरुआत की जाएगी. आने वाले 3 साल में सरकार ने छत्तीसगढ़ को कुषोपण और एनीमिया मुक्त करने का लक्ष्य रखा है.
जुलाई माह से ही बस्तर व दंतेवाड़ा में चलाया जा रहा 'कुपोषण मुक्ति अभियान'
प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुपोषण मुक्ति का यह कार्यक्रम बीते जुलाई माह से बस्तर और दंतेवाड़ा की पंचायतों में चलाया जा रहा है. बहरहाल, 2 अक्टूबर से बाकी महत्वाकांक्षी जिलों में शुरू हो रहे इस अभियान में प्रतिष्ठित चैरिटेबल ट्रस्ट, जनप्रतिनिधियों, एनजीओ, मीडिया समूहों और अन्य लोगों को भी शामिल किया जाएगा.
5 साल से कम उम्र के 37.60 प्रतिशत बच्चे हैं कुपोषित
भूपेश बघेल ने बताया कि नीति आयोग के मुताबिक राज्य में 5 साल से कम उम्र के 37.60 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. साथ ही 15 से 49 वर्ष की 41.50 प्रतिशत बेटियां और माताएं एनीमिया (खून की कमी होना) से पीड़ित हैं. उन्होंने कहा कि कुपोषण और एनीमिया के कारण ही देश में हर साल लाखों बच्चों की मौत हो जाती है. लाखों बच्चे जन्म के समय से ही कम वजन के होते हैं और उनकी ऊंचाई नहीं बढ़ती है. इसके अलावा उनके शारीरिक और मानसिक विकास की प्रक्रिया भी रुक हो जाती है.
गांधी जयंती के दिन से किया जाएगा क्रियान्वयन
ऐसे में इस विकट समस्या के निराकरण के लिए अत्यंत गंभीर प्रयासों की आवश्यकता है. सीएम बघेल ने कहा कि इस अभियान का आरंभ गांधी जयंती के दिन से क्रियान्वयन किया जाएगा.
वहीं इस संबंध में मुख्य सचिव और जिला कलेक्टरों को आगामी एक माह में पीड़ितों की सूची, आवश्यक पौष्टिक तत्वों का आंकलन और आवश्यक धन राशि का आंकलन करने को कहा गया है. ऐसे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ये उम्मीद जताई है कि अगले 3 वर्षों में राज्य से कुपोषण और एनीमिया पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा. ताकि छत्तीसगढ़ के निर्माण की सार्थकता सिद्ध हो सके.