कार के शीशे पर हो ठक-ठक, तो सावधान हो जाइए

 
नई दिल्ली

अक्सर रेड लाइट पर जब गाड़ी रुकती है या जाम में फंसी होती है, तो कई बार कुछ अनजान लोग गाड़ी के पास आकर शीशे पर दस्तक देने लगते हैं। शीशा नीचे करने पर पता पूछने या सामान बेचने या पैसे मांगने लगते हैं। इन्हीं लोगों के बीच कुछ ऐसे बदमाश भी होते हैं, जो आपकी गाड़ी के शीशे पर दस्तक देकर आपको चूना लगा जाते हैं। ऐसे में सावधान रहना बेहद जरूरी है। यहां जानिए, दिल्ली में सक्रिय ठक-ठक गैंग के तौर-तरीके। 
 
ईस्ट दिल्ली के निर्माण विहार इलाके में कुछ महीने पहले ठक-ठक गैंग के बदमाशों ने गाजियाबाद के एक बिजनसमैन को निशाना बनाया था। इस दौरान गैंग के एक शख्स ने निर्माण विहार की रेड लाइट के पास गाड़ी रुकने पर शीशे पर दस्तक दी और बिजनसमैन ने जब कार का शीशा नीचे किया, तो वह उनसे इस बात पर झगड़ने लगा कि उन्होंने उसके पैर पर गाड़ी चढ़ा दी। 

बिजनसमैन उसे सफाई देते रहे और वह बहस करता रहा। उसी दौरान उसके साथी ने बिजनसमैन का मोबाइल उनके हाथों से छीन लिया और भागने लगा। वह तो पास में पुलिसवाले मौजूद थे, तो एक बदमाश रंगे हाथों पकड़ा गया। उससे पूछताछ में पता चला कि वे लोग रोज मेरठ से बस में बैठकर दिल्ली आते थे और यहां अलग-अलग बहाने से जानबूझकर लोगों से झगड़ कर उनका ध्यान बंटाते थे और उसी दौरान उनके मोबाइल, पर्स और बैग आदि चुरा ले जाते थे। 

आापकी गाड़ी पंक्चर हो गई है 
ठक-ठक गैंग के मेंबर्स का एक और तरीका गाड़ी पंक्चर होने के बहाने चालक का ध्यान बंटाने का है। इसी साल अप्रैल में साउथ दिल्ली के नारायणा इलाके में बदमाशों ने इसी तरीके से एक कार में रखा बैग चुरा लिया था। बैग में 51 लाख रुपये रखे हुए थे। नारायणा में फैक्ट्री चलाने वाले एक बिजनसमैन पैसों से भरा बैग लेकर घर लौट रहे थे, तभी बाइक सवार दो बदमाशों ने पहले उनकी गाड़ी के पिछले टायर को पंक्चर किया और फिर जब फैक्ट्री मालिक रास्ते में पंक्चर बनाने रुके, तो बदमाशों के साथी उनकी मदद करने का बहाना बनाकर उनके पास आए और उसी दौरान एक लड़का गाड़ी में रखा बैग उठाकर रफू-चक्कर हो गया। पिछले दिनों कांग्रेस नेता और डूसू की पूर्व अध्यक्ष अमृता धवन को भी बदमाशों ने दिल्ली कैंट इलाके में इसी तरह से निशाना बनाया था और उनकी गाड़ी में रखा बैग उठा ले गए थे। 

सड़क पर गिरे पैसे कहीं आपके तो नहीं? 
कुछ समय पहले कनॉट प्लेस में पुलिस ने ठक-ठक गैंग के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया था। दोनों साउथ इंडियन थे। इनका एक पूरा गिरोह सीपी और उसके आसपास के इलाकों में ऐक्टिव था। ये लोग पहले ऐसी गाड़ियों की पहचान करते थे, जिसमें ड्राइवर अकेला होता था और पिछली सीट पर कोई बैग रखा होता था या डैश बोर्ड पर फोन या पर्स रखा होता था। उसके बाद ये लोग गाड़ी के आस-पास कुछ पैसे गिरा देते थे और शीशे पर दस्तक देकर गाड़ी में बैठे शख्स से कहते थे कि ये सड़क पर पैसे गिरे हुए हैं, ये आपके तो नहीं है? जब तक गाड़ी में बैठा शख्स दरवाजा खोलकर देखता था, इतनी देर में इनके दूसरे साथ माल चुराकर भाग जाते थे। 

जरा अड्रेस बता देंगे
ठक-ठक गैंग के मेंबर्स अक्सर अड्रेस पूछने के बहाने भी लोगों का ध्यान बंटाकर उनका सामान चुरा ले जाते हैं। कनॉट प्लेस इलाके में बदमाशों ने इसी तरह से आईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी की कार को निशाना बनाया था। गिरोह के एक मेंबर ने पहले गाड़ी के ड्राइवर को पता पूछने के बहाने बातों में उलझाया और उसी दौरान उसका दूसरा साथी गाड़ी का दरवाजा खोलकर गाड़ी की पिछली सीट पर रखा बैग चुराकर फरार हो गया। घटना के वक्त आईबी के अधिकारी की बहू शॉपिंग करने किसी स्टोर में गई हुईं थीं और अपना बैग उन्होंने गाड़ी में ही छोड़ दिया था। 

तरीकों की कमी नहीं
पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि ठक-ठक गैंग के बदमाश लगातार वारदात के तौर-तरीकों को बदलते रहते हैं। कभी गाड़ी के शीशे पर दस्तक देकर किसी बहाने से ध्यान बंटाते हैं, तो कभी अपनी गाड़ी जान बूझकर किसी दूसरी गाड़ी से टकराकर लड़ने लगते हैं और उनके साथी मौके का फायदा उठाकर वारदात कर जाते हैं। कभी बदमाश खुद किसी की गाड़ी पंक्चर करके वारदात का मौका बनाते हैं, तो कभी गाड़ी पर अंडा, पत्थर या कोई और चीज फेंक कर ड्राइवर का ध्यान बंटाते हैं। ऐसे में इन वारदातों से बचने के लिए हर वक्त सावधान रहना बेहद जरूरी है। 
 

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