कुर्सी जाने के बाद पहली बार अशोकनगर पहुंचे शिवराज
अशोकनगर
प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते 13 साल के कार्यकाल में कभी अशोकनगर शहर में ना आने वाले पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान गुरूवार को विजय संकल्प सभा में शामिल होने अशोकनगर पहुंचे। कुर्सी से हटने के डर से अशोकनगर आने से बचते रहे| शिवराज ने मंच एवं पत्रकारो से इस मामले में बात तो की मगर हर बार की तरह गोलमोल जवाब ही दिया।
ज़िला अशोकनगर में विजय संकल्प यात्रा के अंतर्गत आयोजित सभा। #VijaySankalpMP https://t.co/1WPOJE4TXz
— Office of Shivraj (@OfficeofSSC) March 14, 2019
उन्होंने कहा कि भले ही वह अशोकनगर ना आ पाये हो मगर आसपास आता रहा हूं। मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री के साथ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी मौजूद रहे। शिवराज ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि कर्ज माफी पर कांग्रेस सरकार किसानों को गुमराह कर रही है। श्री सिंह ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर वह लोगो के साथ है एवं सडक पर उतर सकते है। साथ ही उन्होंने फसल खरीदी एवं बिजली बिल के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा। सरकार पर तंज करते हुऐ कहा कि प्रदेश में लँगड़ी सरकार है जिसमे ढाई मुख्यमंत्री काम कर रहे है।कमलनाथ ,दिग्विजय सिंह के अलावा आधे मुख्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया है। पत्रकारो से चर्चा करते हुए गुना संसदीय सीट से लड़ने के सवाल पर श्री चौहान ने कहा कि पार्टी का जो फैसला होगा उसे स्वीकार किया जाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करीब 16 साल बाद गुरुवार को आशोकनगर आये। इससे पहले शिवराज सिंह चौहान 2003 में आशोकनगर आए थे। तब वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होने के साथ ही विदिशा से सांसद थे। करीब 13 वर्ष तक मध्यप्रदेश की सत्ता की मुखिया रहे शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री रहते हुए एक भी बार अशोकनगर नहीं आए। लोगों का मानना है कि अशोकनगर को लेकर चर्चित मिथक इसका कारण रहा है। अशोकनगर के बारे में यह कहा जाता है कि यहां जो भी मुख्यमंत्री आता है वह मुख्यमंत्री की गद्दी पर नहीं रहता। जिसके बारे में प्रकाशचंद सेठी, अर्जुन सिंह, श्यामाचरण शुक्ल, सुंदरलाल पटवा, मोतीलाल बोरा आदि के नाम गिनाए जाते हैं। यह सभी मुख्यमंत्री अशोकनगर में आ चुके हैं और यहां से आने के बाद उन्हें अपनी गद्दी से हटना पड़ा है। 15 साल के भाजपा सरकार के शासन में शिवराज सिंह चौहान से पहले उमा भारती और बाबूलाल गौर भी मुख्यमंत्री रहे लेकिन वह भी अशोकनगर आने से तौबा करते रहे। हालाँकि अशोकनगर नहीं आना भी शिवराज की कुर्सी नहीं बचा पाया, और इस बार सत्ता ही चली गई |