स्मार्ट सिटी की फंडिंग रूकने से रूका स्मार्ट पोल का काम

भोपाल
स्मार्ट सिटी की फंडिंग रूकने से अब इसके जरिए शहर में लगने वाले स्मार्ट पोल का काम रूक गया है। अभी हालत यह है कि शहर  के चौराहों पर 100 से ज्यादा स्मार्ट पोल्स तो लगा दिए गए हैं, लेकिन इनमें से एक से भी सर्विस शुरू नहीं हो सकी है। सात सौ करोड़ रुपए की लागत वाले ये स्मार्ट पोल महज शोपीस बने हुए हैं। 

हालांकि दावा किया गया था कि ये स्मार्ट पोल कॉल ड्रॉप को 'जीरो' करने के साथ ही शहर को न सिर्फ वाईफाई कनेक्टिविटी देगा, बल्कि प्रदूषण की मॉनीटरिंग भी करेगा। शहर से खंभों और तारों का जाल हटाने के पहले स्मार्ट पोल प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। यह स्मार्ट सिटी के रनिंग प्रोजेक्ट में शुमार था। 

राज्य सरकार की किसानों  का कर्जा माफ करने की स्कीम में स्मार्ट सिटी को मिलने वाला पैसा अटक गया है। वैसे भी इस समय बजट के नहीं आने के कारण सरकार की फंडिंग की हालत भी खराब है। ऐसाी हालत में उसको केवल पीपीपी मोड परचलने वाले प्रोजेक्ट पर ध्यान देना है और हालत के हिसाब से अब डेवलपमेंट पिछड़ता नजर आ रहा है। 

स्मार्ट सिटी को केन्द्र  सरकार से 2016 में 100 करोड़,  2017 में 100 करोड़ मिले थे। इसके अलावा उसको राज्य सरकार से  दो किस्तों में 200 करोड़ मिले थे।  2018 के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी को अपना डिमांड लेटर कामों के सर्टिफिकेशन के साथ भेजना था लेकिन वह नहीं भेज पायी। इस कारण उसको  पिछले साल का पैसा नहीं मिला और इस साल का भी फिलहाल अधर में है। 

भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कापोर्रेशन (बीएससीडीसीएल) ने पीपीपी मोड के तहत शहर में 2000 स्मार्ट पोल और 20,000 स्मार्ट स्ट्रीट लाइट लगाने का काम शुरू कराया। पहले फेस में 400 स्मार्ट पोल लगाए जाने थे, लेकिन अब तक 100 ही लग पाए हैं। ये पोल जहां लगाए गए हैं, उन स्थानों से अन्य पोल को नहीं हटाया गया। जबकि योजना के तहत एक ही स्मार्ट पोल पर मोबाइल टॉवर, विज्ञापन बोर्ड, सीसीटीवी कैमरा, पॉल्यूशन डिस्प्ले बोर्ड, चार्जिंग पॉइंट, वाईफाई, स्ट्रीट या हाईमास्ट लाइट और बिजली की केबल आदि लगना था।

शहर में एक खंभे के बजाय जगह जगह कई खंभे लगे हुए हैं। इनमें एक स्मार्ट पोल भी लगा है, तो वहीं दूसरे खंभे पर हाईमास्ट या स्ट्रीट लाइट लगी है। तीसरे खंभे पर गेंट्री तो चौथे पर ट्रैफिक सिग्नल और पांचवें खंभे पर कैमरे लगा दिए गए हैं। जबकि ये सभी सुविधाएं एक ही स्मार्ट पोल पर होनी चाहिए। इन्हें सेंट्रल वर्ज पर लगाया जाना था, लेकिन कोलार, बिट्टन मार्केट, अयोध्या बायपास में स्मार्ट पोल सड़क किनारे लगाए गए हैं। स्मार्ट सिटी कंपनी अफसरों की प्लानिंग व मैनेजमेंट की गड़बड़ी से यह प्रोजेक्ट फेल होता नजर आ रहा है।

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