9 आरोपी गिरफ्तार, 5 से 12 लाख लेकर पास कराते थे परीक्षा: UP कांस्टेबल भर्ती

लखनऊ         
उत्तर प्रदेश में पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए रविवार से परीक्षा शुरू हो गई है. यह परीक्षा रविवार और सोमवार को होगी. रविवार को ही यूपी एसटीएफ ने आगरा, मथुरा और लखनऊ में छापेमारी करके परीक्षार्थियों की कथित मदद करने के आरोप में नौ लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इन गिरोहों ने फर्जी अभ्यर्थी मुहैया कराए जिन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस और पीएसी उम्मीदवारों के लिए 2018 की ऑफलाइन भर्ती परीक्षा लिखी. इनमें से एक गिरोह ब्लूटूथ ईयरफोन और वेब कैमरा जैसे गैजेट का इस्तेमाल कर रहा था.

एसटीएफ ने कहा कि गिरोह लिखित परीक्षा में पास कराके भर्ती कराने के नाम पर उम्मीदवारों से पांच लाख से 12 लाख रुपये लेते थे. एसटीएफ ने परीक्षा के दौरान अनुचित संसाधनों का इस्तेमाल करके अभ्यर्थियों को कथित मदद पहुंचाने के आरोप में आगरा से कई लोगों को गिरफ्तार किया. इनमें मथुरा के शिवकुमार, भुवनेश तथा कानपुर देहात के सत्यम कटियार शामिल है. इनके पास से दो फर्जी एडमिट कार्ड के साथ पैसे बरामद हुए है.

एसटीएफ ने कहा कि पूछताछ में उन लोगों ने बताया कि फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए लोगों से छह से आठ लाख रूपये लेते हैं. इस बीच, पश्चिमी यूपी एसटीएफ ने उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती के लिए चल रही लिखित परीक्षा में हिस्सा लेने जा रहे एक फर्जी परीक्षार्थी और नकल कराने वाले गिरोह के सरगना सहित तीन लोगों को मथुरा जिले के थाना एक्सप्रेस वे से गिरफ्तार किया है.

पश्चिम यूपी एसटीएफ के एसपी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर 27 जनवरी को यूपी एसटीएफ की नोएडा इकाई ने कार्रवाई की. एसटीएफ ने बताया कि पवन सिंह और उसके साथी जीवन सिंह और राजकुमार सिंह को गिरफ्तार किया गया. ये सभी अलीगढ़ जिले के हैं. पुलिस अधिकारी ने बताया कि इनके पास से चार सिम कार्ड आधारित इलेक्ट्रॉनिक संचार उपकरण, 22 ब्लूटूथ ईयरफोन, एक वेब कैमरा, मार्कशीट्स और 11 उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड और 15,000 रुपये बरामद किए गए.

एसटीएफ ने कहा कि परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवार अपने ताबीजों में लगे उपकरणों के जरिए सवालों को पढ़ते थे जो परीक्षा केंद्रों के बाहर बैठे उनके गिरोह के सदस्यों के पास जाते थे जो उन्हें सही जवाब बताते थे. तीसरे गिरोह का पर्दाफाश लखनऊ में किया गया. एसटीएफ ने बताया कि लखनऊ निवासी निशांत प्रभाकर, संतोष तिवारी और बिहार के नालंदा के रहने वाले संतोष पासवान को गिरफ्तार किया गया.

अधिकारियों के मुताबिक, वे एडमिट कार्ड में छेड़छाड़ करके फर्जी उम्मीदवारों को भेजते थे और उम्मीदवारों से छह से 12 लाख रुपये लेते थे. आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है और उनसे पूछताछ चल रही है ताकि ऐसे परीक्षा फर्जीवाडे का पता लगाने में मदद मिल सके.

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