8वीं के छात्र ने बनाई सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेन, इनसे बनाया ट्रैक

अजमेर
भारत के लोगों में प्रतिभा की कमी नहीं है और यह बात भी सच है कि प्रतिभा ज्यादातर गांवों से निकलकर उभरकर आती है। ऐसा ही एक मामला राजस्थान में सामने आया है। जहां पर 8वीं में पढऩे वाले एक लडके ने अनोखा कारनामा किया है।

राजस्थान के नागौर जिले के प्यावां गांव में रहने वाले 14 साल के सुनील ने अपने खेत में सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेन का मॉडल बनाकर सभी का ध्यान अपनी ओर खीचा है। रेलवे अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर जब इसको देखा तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गईं।

वे मॉडल तैयार करने वाले लडक़े से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने खास अनुमति के साथ उसे जोधपुर-दिल्ली सराय रोहिला के इंजन में लोको पायलट के साथ सफर करने का मौका तक दे दिया।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 14 साल के सुनील जोकि 8वीं का छात्र है उसने अपनी सौर ऊर्जा से संचालित ट्रेन के मॉडल में 60 फीट का लंबा ट्रैक भी तैयार किया।

जिसे सुनील के मुताबिक यूजलेस चीजों की मदद से करीब चार माह में तैयार किया जा सकता है। सौर ऊर्जा से संचालित होने के अलावा सुनील के इस मॉडल की दूसरी बड़ी खूबी यह है कि ट्रैन के ट्रैक पर रेलवे फाटक, शंटिंग और सिग्नल के साथ प्लेटफार्म भी बनाया गया है।

सुनील के पिता रतन बुरडक़ ने बताया कि सुनील बचपन से ही अन्य बच्चों की तुलना मे ज्यादा ही एक्टिव है। हमेशा से कुछ न कुछ बनाता ही रहता है। रतन बुरडक़ के अनुसार सुनील ने महज 5 साल की उम्र में एलएनटी, पवन ऊर्जा, रेल गाड़ी, रेल की पटरियां बना दी थी।

सुनील ने मोटरसाइकिल के इंजन से हेलीकॉप्टर बनाने का प्रयास भी किया, लेकिन सामग्री खरीदने के लिए पर्याप्त रुपए नहीं होने के कारण आगे कार्य आगे नहीं बढ़ पाया।

पिछले 5 महीने की मेहनत के बाद सुनील ने अपने खेत में करीब 60 फीट लंबा ट्रैक का मॉडल घर में पड़े बेकार सामान से बनाया है। कुछ जरूरी सामान सुनील के मजदूर पिता ने उसे अपनी बचत से खरीद कर दिया है। लोहे की सरिया से पटरिया बनाई, उसके नीचे बाजरे की फसल के मोटे तिनकों को को स्लीपर के रूप में इस्तेमाल किया।

इस मॉडल इंजन के पहिए प्लास्टिक की बोतल के ढ़क्कन के बने हैं जिन पर तांबा का तार लपेटा गया है। यह तार गत्ते से बने इंजन में लगी हुई मोटर से जुड़े हैं सौर ऊर्जा से चलने वाली बैटरी के तारों को पटरी और उसके ऊपर लगे तार के संपर्क में आने पर उनमें करंट प्रवाहित होता है जैसे ही इंजन को पटरी पर आते हैं।

तांबे के तारों से करंट मोटर तक पहुंचता है और इंजन चलने लगता है। सुनील का लक्ष्य है कि वो पढ़ाई पूरी कर इंजीनियर बनेगा और रेलवे के क्षेत्र में कुछ ऐसी अविष्कार करे कि वो देश के काम आए और उन अविष्कारों के जरिए आमजन को सुविधा मिल सके।

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