3 सीटों पर हालत सुधरी, शीला-लवली और महाबल, बाकी पर चुनौती जारी
नई दिल्ली
दिल्ली में इस बार लोकसभा चुनाव की तस्वीर बदली हुई है. राष्ट्रीय राजधानी की 7 सीटों के लिए मुख्य रूप से 3 पार्टियां, कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी मैदान में हैं. पिछली बार सातों सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. मगर इस बार लड़ाई अलग रंग में है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार कांग्रेस की स्थिति सुधरी है और यही वजह से कि उसने आम आदमी पार्टी से गठबंधन करने से परहेज किया. कांग्रेस को लग रहा है कि वो दिल्ली में बिना गठबंधन के चुनाव में जीत हासिल कर सकती है.
माना जा रहा है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ रहीं शीला दीक्षित, पूर्वी दिल्ली से अरविंदर सिंह लवली और पश्चिमी दिल्ली सीट पर महाबल मिश्रा अपने प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी चुनौती दे रहे हैं जबकि बाकी सीटों पर भी कांग्रेस उम्मीदवार मजबूती से मैदान में हैं. दिल्ली में छठें चरण में 12 मई को मतदान है और तीनों पार्टियों ने जीत हासिल करने के पूरा दम लगा रखा है.
उत्तर पूर्वी संसदीय सीट पर आम आदमी पार्टी के दिलीप पांडेय, कांग्रेस की शीला दीक्षित और बीजेपी के मनोज तिवारी मैदान में हैं. कहा जा रहा है कि इनमें से जो नेता जातीय समीकरण और अनधिकृत कॉलोनियों को साध लेगा, जीत उसी के हाथ लगेगी. इस सीट पर ज्यादातर मतदाता उत्तर प्रदेश और बिहार से सटे पूर्वांचल इलाके के हैं और यहां मुसलमान भी बड़ी तादाद में हैं. इन लोगों की चुनावी जीत में अहम भूमिका होती है. कांग्रेस को भरोसा है कि उसका परंपरागत वोट बैंक मुसलमान, दलित और कम आय समूह उसकी झोली वोटों से भर देगा भले ही वे 2015 के विधानसभा चुनाव में AAP के पाले में चले गए हों क्योंकि इस पार्टी को लगता है कि ये समूह केजरीवाल से खुश नहीं है.
पश्चिम दिल्ली के मौजूदा बीजेपी सांसद और पार्टी के उम्मीदवार प्रवेश सिंह वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं कांग्रेस ने महाबल मिश्रा को टिकट दिया है जबकि आम आदमी पार्टी ने बलबीर सिंह जागड़ को मैदान में उतारा है. 2014 के चुनाव में प्रवेश वर्मा ने जीत हासिल की थी जबकि आम आदमी पार्टी के जरनैल सिंह दूसरे जबकि कांग्रेस के महाबल मिश्रा तीसरे स्थान पर रहे थे. लेकिन इस बार माना जा रहा है कि महाबल मिश्रा कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं.
वहीं पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस ने अरविंदर सिंह लवली को मैदान में उतारा है जबकि आम आदमी पार्टी ने आतिशी को टिकट दिया है. वहीं बीजेपी ने गौतम गंभीर को टिकट दिया है. लवली पानी की कमी, प्रदूषण, बेरोजगारी और मलबे के ढेर जैसे उन बुनियादी मुद्दों पर काम करेंगे जिसे बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने नजरअंदाज किया है. वहीं आतिशी आम आदमी पार्टी की सरकार के नाम पर वोट मांग रही हैं. गौतम गंभीर क्रिकेट से बनी अपनी छवि और मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं.
नई दिल्ली लोकसभा सीट से बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद मीनाक्षी लेखी को टिकट दिया है जहां से कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जीतकर संसद पहुंचे तो कभी पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी यहां से जीते. इसी सीट से शत्रुघ्न सिन्हा को हराकर बॉलीवुड के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना भी संसद में पहुंचे थे, तो इस सीट पर अबकी बार मुकाबला त्रिकोणीय है.
बीजेपी से मौजूदा सांसद मीनाक्षी लेखी, कांग्रेस से पूर्व सांसद अजय माकन और आम आदमी पार्टी (AAP) से कारोबारी बृजेश गोयल चुनाव मैदान में हैं. मीनाक्षी लेखी को अपने काम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का सहारा है. हालांकि मीनाक्षी लेखी के लोगों से मिलने में आनाकानी, सीलिंग पर अजीब रवैया को लेकर लोगों की शिकायतें बनी रहीं. दूसरी तरफ अजय माकन के नाम पर कांग्रेस ने अपना दांव चला है, जो दस साल पहले बीजेपी के बड़े नेता विजय गोयल को हराकर यहां से चुनाव जीते थे. लेकिन पिछली बार तीसरे नंबर पर पहुंच गए थे, लेकिन अबकी बार जीत के अरमान उनके दिल में लहलहा रहे हैं.
नई दिल्ली सीट पर बीते 22 सालों से पंजाबी कम्युनिटी का सांसद बनता रहा है. नई दिल्ली के बारे में कहा जाता है कि यहां पंजाबी समुदाय की नजरें इनायत जिन पर होंगी, उसके लिए जीत का रास्ता आसान हो सकता है. यहां के मोतीनगर, पटेल नगर, ग्रेटर कैलाश, मालवीय नगर, कस्तूरबा नगर जैसे इलाकों में पंजाबी समुदाय बड़ी संख्या में हैं. वैसे यहां अगर पंजाबी आबादी करीब 17 फीसदी है तो अनुसूचित जाति की संख्या 18 फीसदी. पिछड़े वर्ग के लोगों की आबादी करीब 14 फीसदी, वैश्य करीब 8 फीसदी, ब्राह्मण 6 फीसदी और मुसलमान करीब 5 फीसदी हैं.
चांदनी चौक का गणित
चांदनी चौक सीट से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, AAP ने पंकज गुप्ता और कांग्रेस ने जेपी अग्रवाल को टिकट दिया है. आम आदमी पार्टी पिछले चुनाव में यहां से दूसरे नंबर पर रही थी. इस बार उसने उम्मीदवार बदल दिया है और उसकी तरफ से पंकज गुप्ता दांव आजमा रहे हैं. कभी इस सीट से सांसद रहे जेपी अग्रवाल को कांग्रेस ने अबकी फिर उतारा है जबकि 2004 से 2014 तक यहां से कपिल सिब्बल सांसद रहे थे . जय प्रकाश अग्रवाल 23 साल पहले यहां से सांसद थे, लेकिन पीढ़ियों के बदलाव में अपने लिए उम्मीद तलाश रहे हैं.