2021 की जनगणना के बाद पहली बार पता चलेगा गांव-शहर का फर्क

 
नई दिल्ली 

2021 की जनगणना के बाद पहली बार पता चलेगा कि देश में विशुद्ध रूप से कितने शहर और गांव हैं। इनकी सामाजिक-आर्थिक दशा क्या है। इसके लिए खास पैमाने बनाए गए हैं। सरकार का मानना है कि शहर और गांव की आबादी का ठीक आकलन नहीं करने से नीतियां बनाने में विरोधाभास की स्थिति का सामना करना पड़ता है। 2011 के जनगणना के बाद ऐसे शिकायतें आईं कि कई ग्रामीण आबादी वाले इलाके शहर में शामिल हो गए। 

पूरी तरह अलग होंगे इलाके 
जनगणना के नए मानक के अनुसार, अगर कोई शहरी क्षेत्र की पहचान होती है और उसमें एक कुछ ग्रामीण आबादी भी शामिल हो रही होती है तो उसे ग्रामीण पंचायत में ही रखा जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, कई बार ऐसे इलाके भौगोलिक तौर पर ऐसी जगह पर होते हैं जहां उन्हें न चाहते हुए भी शहर में रखना होता है। ऐसे में यह साफ किया गया है कि शहरी क्षेत्रों के छोटे अंश को ग्रामीण पंचायत में शामिल किया जा सकता है लेकिन गांव की आबादी को शहर में नहीं। इसके अलावा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोगों के रहन-सहन में आए बदलाव को भी इसमें रेखांकित किया जाएगा। 

पिछली बार दो हजार से अधिक शहर बने 
2011 की जनगणना के अनुसार तब पूरे देश में सबसे तेजी से शहरों की संख्या बढ़ी थी। रिपोर्ट के अनुसार देश में गांव से अधिक शहर बसे हैं। 2400 नये शहर-कस्बे बने थे। रिपोर्ट कहती है कि कुल 43 करोड़ लोग देश के उन शहरों में रहने लगे जिनकी आबादी 1 लाख से 1 करोड़ के बीच है। इनकी आबादी 39 फीसदी की दर से बढ़ी थी। दूसरे तमाम जगहों के मुकाबले बढ़ोतरी की यह दर ज्यादा है। अधिकतर बी टायर सिटी इसी कैटिगरी में आते हैं। अगर ट्रेंड देखें तो हिंदी पट्टी के राज्यों खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा शहर इनमें शामिल थे। 

पलायन के ट्रेंड पर फोकस 
पहली बार जनगणना में पलायन की समस्या के समाधान के लिए इसका ट्रेंड जानने की कोशिश की जा रही है। पलायन करने वालों की अलग संख्या बनेगी और उनका रुख कहां से क्या रहा और उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि क्या रही इस बारे में अलग से डेटा जुटाया जाएगा। अभी तक पलायन के ट्रेंड पर सरकार के पास कोई ठोस रिसर्च नहीं है। बिहार और उत्तर प्रदेश सहत हिंदी पट्टी राज्यों में पलायन एक बड़ी समस्या रही है और मनरेगा जैसी योजना को इसी समस्या को दूर करने की नीयत से लागू किया गया था। 

किसे कहेंगे शहर 
वैसी जगह जहां म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, कैंटोनमेंट बोर्ड या नोटिफाइड टाउन एरिया कमिटी हो। जहां की आबादी कम से कम बीस हजार हो। कुल आबादी के 75 फीसदी लोग गैर कृषि कार्यों में लगे हों। आबादी का घनत्व 400 प्रति स्क्वॉयर किमी हो। 

कितने तरह के शहर 
साधारण टाउन: जिनकी आबादी 20 हजार से लेकर 1 लाख के बीच हो। इनकी संख्या पूरे देश में 3587 है। 
क्लास वन टाउन: जिनकी आबादी एक लाख से दस लाख के बीच हो। देश में इनकी संख्या 468 है। ऐसे शहरों में कुल 26 करोड़ 49 लाख लोग रहते हैं। 
मिलियन प्लस टाउन: जिनकी आबादी दस लाख से एक करोड़ के बीच हो। इनकी तादाद 53 है। इनमें 16 करोड़ 7 लाख लोग रहते हैं। 
मेगा सिटी: जिनकी आबादी 1 करोड़ से अधिक हो। इनकी संख्या 3 है। ये हैं मुंबई, कोलकाता और दिल्ली। 

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