2020-21वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट -6.8% का अनुमान

मुंबई
कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। लॉकडाउन-4 (Lockdown 4) में कुछ दिन बाकी रह गए हैं, हालांकि आर्थिक गतिविधि की शुरुआत हो चुकी है। आठ सप्ताह से ज्यादा कंप्लीट लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ है। तमाम एजेंसियों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष (2020-21) की विकास दर नेगेटिव ( GDP contraction) रहेगी। इसको लेकर अलग-अलग रिपोर्ट में अलग-अलग दावा किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही की भी रिपोर्ट आने वाली है जो आठ सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच सकती है।

आठ साल के न्यूनतम स्तर पर होगी विकास दर
रॉयटर्स के पोल के मुताबिक 2020 की पहली तिमाही यानी जनवरी-मार्च में विकास दर पिछले आठ साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच सकती है। HSBC की इकनॉमिस्ट आयुषी चौधरी का कहना है कि जनवरी और फरवरी में आर्थिक गतिविधियां सामान्य थी, लेकिन मार्च में असर दिखने लगा था और आखिरी सप्ताह में 25 मार्च को तो कंप्लीट लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई।

2.1 फीसदी विकास दर का अनुमान
इस पोल में 52 इकनॉमिस्ट शामिल हुए और उन्होंने 20-25 मई तक का डेटा लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस तिमाही विकास दर 2.1 फीसदी रह सकती है। यह रिपोर्ट 29 मई को रिलीज की जाएगी और विकास दर का अनुमान +4.5% से -1.5% के बीच है। हालांकि केवल छह इकनॉमिस्ट ने नेगेटिव विकास दर का अनुमान जताया है।

चौथी तिमाही में विका दर 1.2 फीसद का अनुमान
एसबीआई की शोध रिपोर्ट इकोरैप के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में विकास दर 1.2 फीसदी रह सकती है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 में विकास दर 4.2 फीसदी और वित्त वर्ष 2020-21 में माइनस 6.8 फीसदी रह सकती है।

29 मई को आंकड़ों की घोषणा
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) 29 मई को वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही के जीडीपी वृद्धि के आंकड़ों की घोषणा करेगा। वित्त वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में विकास दर घटकर सात सालों के न्यूनतम स्तर 4.7 फीसदी पर पहुंच चुकी है। पिछले वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में वृद्धि दर 5.1 फीसदी और 5.6 फीसदी रही थी।

चालू वित्त वर्ष में विकास दर माइनस 6.8 फीसदी
इस रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी विकास दर माइनस 6.8 फीसदी के करीब रह सकती है और सकल मूल्यवर्धित (GVA) विकास दर माइनस 3.1 फीसदी रहेगी। रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक नुकसान रेड जोन में हुआ, जहां देश के लगभग सभी बड़े जिले स्थित हैं। कुल नुकसान में रेड जोन और ऑरेंज जोन की करीब 90 फीसदी हिस्सेदारी है।

जितना बड़ा राज्य उतना ज्यादा नुकसान
रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष 10 राज्यों का जीडीपी नुकसान में 75 फीसदी योगदान का अनुमान है। नुकसान में सिर्फ महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 15.6 फीसदी होगी, जिसके बाद तमिलनाडु (9.4 फीसदी) और गुजरात (8.6 फीसदी) का स्थान होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि जून के अंतिम सप्ताह में देश में कोविड-19 संक्रमण के मामले अपने उच्चतम स्तर पर हो सकते हैं।

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