2.60 लाख किलो चावल, सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर

नई दिल्ली
क्या एक मोटरसाइकल से 16,000 किलो चावल ले जाया जा सकता है? सुनने में यह अजीब लग सकता है, लेकिन फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और एक प्राइवेट कंपनी के दस्तावेज तो यही कहते हैं। एफसीआई के कुछ अधिकारियों और एक निजी कंपनी पर 2.60 लाख किलो चावल की चोरी करने का आरोप है, जिसकी कीमत 85 हजार करोड़ रुपये के करीब है। दोनों ने चावल को ट्रकों से ले जाने की बात कही थी, लेकिन इसके लिए उन्होंने जो लाइसेंस नंबर दिए गए थे, वे ट्रक की बजाय बाइक और स्कूटरों के थे।

एफसीआई की शिकायत के बाद सीबीआई ने मामले को अपने हाथ में लेते हुए एफआईआर दर्ज की है। रिकॉर्ड के मुताबिक असम के सालचापरा रेल टर्मिनल से 9 लाख 19 हजार किलो चावल 57 ट्रकों के जरिए मणिपुर के कोइरेंगेई के लिए भेजा गया था। यह सामान अपने मुकाम पर दो महीने के बाद पहुंचा, जबकि 275.5 किलोमीटर की यह दूरी महज 9 घंटे में ही तय की जा सकती है। ये ट्रक 7 मार्च से 22 मार्च, 2016 के बीच रवाना किए गए थे।

हालांकि वेरिफिकेशन में पता चला कि 85 लाख रुपये की कीमत के 2601.63 क्विंटल चावल पहुंचा ही नहीं। इस चावल को 16 ट्रकों से पहुंचा गया था, लेकिन यह मुकाम पर पहुंचा ही नहीं, हालांकि रेकॉर्ड्स में यही दर्ज किया गया कि रवाना किया गया चावल पहुंच गया है। ऐफिडेविट पर ट्रांसपोर्टर्स ने बताया कि रास्ते में ट्रक खराब हो गए थे, इसके चलते दूसरे ट्रकों पर चावल को लादा गया और फिर पहुंचाया गया। इसके चलते सामान के पहुंचने में देरी हुई।

हालांकि दस्तावेजों के वेरिफिकेशन से पता चला है कि ट्रकों से उतारकर जिन वाहनों में सामान लादा गया, उनका लाइसेंस नंबर ट्रक का नहीं है। इसके बजाय ये लाइसेंस नंबर एलएमएल स्कूटर, होंडा ऐक्टिवा, मोटरसाइकल, वॉटर टैंक, बस, मारुति वैन, कार और अन्य वाहनों के थे। यही नहीं इन वाहनों का परिवहन विभाग के दफ्तरों में रजिस्ट्रेशन भी नहीं था। लाइसेंस नंबर के रिकॉर्ड से पता चलता है कि गायब हुए चावल की खेप में से 16,300 किलो और 10,000 किलो चावल की दो खेपें स्क्टूर से ले जाई गईं। इसके अलावा 16,300 किलो चावल मोटरसाइकल के जरिए ले जाया गया।

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