1965: अर्जन सिंह की चलती तो नतीजे अलग होते

नई दिल्ली
1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में भारतीय वायुसेना ने गजब का जौहर दिखाया था। 21 सितंबर 1965 को भारत ने और 22 सितंबर 1965 को पाकिस्तान ने सीजफायर स्वीकार कर लिया था। हालांकि, अब एयरफोर्स ने एक छोटा सा विडियो जारी किया है, जिसमें तत्कालीन वायुसेना चीफ अर्जन सिंह कह रहे हैं कि वह इस सीजफायर के पक्ष में नहीं थे। ऐसा इसलिए क्‍योंकि भारत उस समय मजबूत स्थिति में था और कुछ और समय मिलने पर पाकिस्तान के और इलाकों को कब्जे में लिया जा सकता था।

अगस्त 1965 में पाकिस्तान ने कश्मीर में घुसपैठ की कोशिश शुरू कर दी थी। भारत ने पड़ोसी देश की इस कोशिश को नाकामयाब कर दिया। भारत ने इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठाया। संयुक्त राष्ट्र ने युद्ध विराम का प्रस्ताव पास किया। अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया। सीजफायर से भी बात नहीं बनी थी। जनवरी 1966 में ताशकंद में दोनों देशों के बीच समझौता हुआ, जिसके तहत भारत और पाकिस्तान ने विवादित क्षेत्रों से सेना हटा ली। हालांकि, बाद में फिर इसको लेकर विवाद शुरू हो गया था।

क के कई एयरफील्ड्स किए थे तबाह
पद्म विभूषण से सम्मानित एयर मार्शल अर्जन सिंह 1 अगस्त 1964 से 15 जुलाई 1969 तक वायुसेना के चीफ रहे। इसी दौरान 1965 की लड़ाई में अभूतपूर्व साहस के प्रदर्शन के चलते उन्हें फील्ड मार्शल बनाया गया। उनके नेतृत्व में इस युद्ध में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर कई एयरफील्ड्स तबाह कर डाले थे। एयर फोर्स प्रमुख के तौर पर लगातार 5 साल अपनी सेवाएं देने वाले अर्जन सिंह एकमात्र चीफ ऑफ एयर स्टाफ थे। 17 सितंबर 2017 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था।

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