15 मिनट के रोल में अवॉर्ड फिर मिली गुमनामी, अब पटरी पर एक्टर का करियर

 
नई दिल्ली

एक नॉन एक्टर, जिसने कभी एक्टिंग नहीं की और जिसे कास्टिंग डायरेक्टर ने रिजेक्ट भी कर दिया था, उसके बावजूद वही एक्टर ना केवल रोल पाने में सफल रहा बल्कि अपने मिनट के रोल के साथ ही बेस्ट डेब्यू अवॉर्ड भी जीतने में कामयाब रहा. सुनने में ये भले ही स्वप्न सरीखी बात लगे लेकिन ये मनजोत सिंह की हकीकत है. 1992 में मनजोत सिंह दिल्ली में पैदा हुए, यही पढ़ाई की. फिर उन्होंने दिबाकर की फिल्म के लिए ऑडिशन दिया.

एक्टिंग अनुभव ना होने के बावजूद दिबाकर ने उन्हें कास्ट किया और मनजोत ने एक हफ्ते मनाली में एक्टिंग वर्कशॉप अटेंड की. चूंकि वे अभय देओल के बचपन का किरदार निभा रहे थे तो उन्हें उनकी चाल, बॉडी लैंग्वेज को कॉपी करने के लिए कहा गया. अनुभवहीन होने के बावजूद उनके नैचुरल अंदाज को काफी पसंद किया गया और वे फिल्मफेयर क्रिटिक्स डेब्यू अवॉर्ड जीतने में कामयाब रहे.
 
शानदार डेब्यू के बावजूद उन्हें एक साल तक कोई फिल्म नहीं मिली. इसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि इस करियर में अपने आपको बेहद एक्टिव रखना जरूरी है. उन्हें फिल्में ना मिलने का एक कारण ये भी था कि सरदारों को बॉलीवुड में काफी स्टीरियोटाइप किया जाता रहा है. गंभीर और ड्रमेटिक किरदारों के लिए पगड़ी लगाए शख़्स बॉलीवुड के बने बनाए ढर्रे में फिट नहीं बैठते लेकिन मनजोत इस धारणा को तोड़ना चाहते हैं और साबित करना चाहते हैं कि फिल्मों में सरदारों को सिर्फ फनी किरदारों के लिए ही नहीं बनाया गया है.

मनजोत उड़ान जैसी संवेदनशील फिल्म में काम कर चुके हैं और फुकरे जैसी फिल्मों से अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. अब वे फिल्म ड्रीम गर्ल में आयुष्मान खुराना के बेस्ट फ्रेंड बने हैं और वे उम्मीद कर रहे हैं कि इस फिल्म के बाद उनका करियर उड़ान भरेगा.

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