#10YearChallenge से बचकर रहने में ही है भलाई, जान लीजिए इसकी सच्चाई

अगर आप फेसबुक या टि्वटर पर मौजूद हैं, तो इस बात का अंदाजा होगा कि सोशल मीडिया में इन दिनों #10YearChallenge को लेकर दीवानगी किस हद तक है। कोई बड़ी बात नहीं, अगर आप में से या आपके जानने वालों में से किसी ने इस 'चैलेंज' की धारा में बहकर अपनी मौजूदा और 10 या 20 साल पुरानी तस्वीर एकसाथ पोस्ट कर दी हो। 

पहली नजर में देखें तो ये नया ट्रेंड कोई खास नुकसानदायक नहीं दिखता। लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली या वायरल की जाने वाली हर चीज के पीछे कोई ना कोई खास बात जरूर होती है। क्या ये किसी बिजनेस आइडिया का हिस्सा है? जानबूझकर जनता से उनकी नई और पुरानी तस्वीर पोस्ट करवाईं जा रही हैं, ताकि डाटा बैंक तैयार किया जा सके? क्या इसके पीछे कोई साजिश है? क्या हमें इस तथाकथित चैलेंज से दूर रहना चाहिए? आइए जानते हैं।

इन सभी सवालों का जवाब तलाशने से पहले फेसबुक का बयान जान लीजिए। सोशल मीडिया नेटवर्क का कहना है, ''ये यूजर जनरेटेड मीम है, जो अपने आप वायरल हुआ है। फेसबुक ने ये ट्रेंड शुरू नहीं किया है।'' ''मीम वही फोटो इस्तेमाल करता है, जो पहले से फेसबुक में है। फेसबुक को इससे कोई फायदा नहीं है और साथ ही ये भी याद रखना जरूरी है कि फेसबुक यूजर किसी भी वक्त फेशियल रिकग्निशन वाला फीचर ऑन या ऑफ कर सकते हैं।''

बयान में फेसबुक का रुख स्पष्ट है, लेकिन अगर हम खास तौर से #10YearChallenge की बात ना भी करें तो भी हालिया अतीत में ऐसी कई सोशल गेम्स या मीम देखने को मिले हैं, जो सोशल इंजीनियरिंग का हिस्सा थे और जिनका मकसद डाटा निकलवाना और एकत्र कर रखना था।  लेकिन जानकारों का मानना है कि ये चैलेंज टाइम पास करने और मजे लेने की चीज नहीं है और इससे बचकर चलना ही बेहतर होगा।

जाने-माने साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल से जब पूछा गया कि क्या इस चैलेंज से कोई नुकसान भी हो सकती है, तो उन्होंने कहा, ''जी बिलकुल, साइबर अपराधी इसका दुरुपयोग कर सकते हैं।'' लेकिन दस साल पुरानी तस्वीर सोशल मीडिया पर डालने से क्या हो सकता है, इस पर उन्होंने कहा, ''देखिए, अभी तक इस तरह के दुरुपयोग का कोई सबूत सामने नहीं आया है। लेकिन एक बात ये समझ लीजिए कि जो तस्वीर अब तक उपलब्ध नहीं थी, अब लोग खुद मुहैया करा रहा हैं।'' ''और जब ये तस्वीर सोशल पर होंगी, तो इनकी मॉर्फिंग हो सकती है, टारगेट करने के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं।'' 

फेशियल रिक्गिनशन एल्गोरिथम से ये मामला किस तरह से जुड़ा है, इस पर दुग्गल ने कहा, ''दुनिया भर में फेशियल रिक्गिशन एल्गोरिथम पर काफी काम चल रहा है। इससे ये आसानी से पता लग सकता है कि दस साल में शक्ल कितनी बदल रही है।'' ''इन तस्वीरों की मदद से फेशियल रिक्गिनशन पर काम करने वाली एजेंसियां अपने सॉफ्टवेयर को ज्यादा मजबूत और ज्यादा इंटेलीजेंट बना सकती हैं।'' लेकिन उस तस्वीरों को क्या, जो हमने दस साल पहले फेसबुक पर पोस्ट की थीं। वो तो पहले से फेसबुक पर उपलब्ध थीं, ऐसे में अब वो कैसे नुकसानदायक बन सकती है?

दुग्गल के मुताबिक, ''ये बात सही है कि वो तस्वीर पहले से फेसबुक के पास थी, उसके एनवायरमेंट में थी, लेकिन वो कहीं और थी। इस चैलेंज में आप पुरानी तस्वीर को निकालकर अपनी नई तस्वीर के साथ तुलना करते हुए रख रहे हैं।'' ''ऐसे में आप जब ये कदम उठा रहे हैं, तो एक नया डाटा सेट बना रहे हैं, जो पहले सोशल मीडिया वेबसाइट के पास नहीं था लेकिन अब आपने ये काम कर दिया है। एजेंसियों के लिए कम्पेरेटिव स्टडी का मामला है। और ये भी डर है कि साइबर अपराधी भी इनका गलत उपयोग कर सकते हैं।'' ''इसलिए ये जरूरी है कि इस तरह के चैलेंज से बचा जाए क्योंकि आप सिर्फ अपनी तस्वीर पोस्ट नहीं कर रहे बल्कि पुरानी और संवेदनशील जानकारी कंपनियों को मुहैया करा रहे हैं, जिनका कितना दुरुपयोग हो सकता है, आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते।''

ऐसा जरूरी नहीं है। लेकिन फिर भी जब बात टेक्नोलॉजी की आती है, तो हमें उसे इस्तेमाल करते वक्त ये ध्यान रखना चाहिए कि हम क्या डाटा जनरेट कर रहे हैं और उसका क्या इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह के 'चैलेंज' में शामिल फोटो से उम्र और उम्र संबंधी बदलावों का पता लगाया जा सकता है और इनका इस्तेमाल टारगेट एडवरटाइजिंग के लिए हो सकता है। कैमरा या सेंसर इस्तेमाल करने वाले विज्ञापन अपनी मैसेजिंग को इस आधार पर ढाल सकते हैं। वायर्ड के मुताबिक बढ़ती उम्र के ये सबूत किसी समय जाकर बीमा असेसमेंट और स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं में भूमिका अदा कर सकती है। मसलन, अगर आप अपनी उम्र के लोगों से ज्यादा तेजी से बूढ़े हो रहे हैं, तो आप बीमा कंपनी के लिए अच्छे ग्राहक नहीं रहेंगे।

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